tag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post8478145322764575715..comments2023-12-02T15:15:35.792+05:30Comments on वटवृक्ष: साँसें और होमियोपैथी / "आधुनिका"रवीन्द्र प्रभातhttp://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-75545305278739854362011-01-17T20:08:23.934+05:302011-01-17T20:08:23.934+05:30सबसे पहले तो रश्मि जी का धन्यवाद, जिन्होंने मेरी क...सबसे पहले तो रश्मि जी का धन्यवाद, जिन्होंने मेरी कविताओं को "वटवृक्ष" पर स्थान दिया।<br /><br />साथ हीं साथ सभी पाठकगण का शुक्रिया.. यूँ हीं मुझे (मुझे हीं क्यों... सभी रचनाकारों को :) ) प्रोत्साहित करते रहें..<br /><br />धन्यवाद,<br />विश्व दीपकविश्व दीपकhttps://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-14254705840712820562011-01-17T14:21:01.577+05:302011-01-17T14:21:01.577+05:30चाहे मेरी नज़र में विकृत हो,
पर ऎसे हीं तो चह्क-चह...चाहे मेरी नज़र में विकृत हो,<br />पर ऎसे हीं तो चह्क-चहक,<br />कुछ मटक-मटक ,यूँ दहक-दहक,<br />नई पीढी को राह दिखाती हैं वो,<br />अमीरी के इस आलम में ,<br />बड़ी मुश्किल से बदन छुपाती हैं वो।<br /><br />जबरदस्त कटाक्ष है आधुनिक वस्त्र विन्यास पर. <br /><br />होम्योपेथी, साँसों और रिश्तों का सम्बन्ध यूनिक लगा :)Pooja Anilhttps://www.blogger.com/profile/11762759805938201226noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-49733026152798118012011-01-16T07:06:42.971+05:302011-01-16T07:06:42.971+05:30अमीरी के आलम में मुश्किल से बदन छुपाती हैं ...
व्य...अमीरी के आलम में मुश्किल से बदन छुपाती हैं ...<br />व्यंग्य की तीक्ष्ण धार ...<br />सांसों और होमेओपैथी का मेल बेजोड़ है ..<br /><br />आभार !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-65883878904774088462011-01-15T20:00:39.240+05:302011-01-15T20:00:39.240+05:30.
रश्मि जी ,
आपका यह प्रयास बहुत अच्छा लगता है। ....<br /><br />रश्मि जी ,<br /><br />आपका यह प्रयास बहुत अच्छा लगता है। नए-नए लेखक एवं लेखिकाओं को जानने एवं पढने का अवसर मिलता है। विश्व दीपक जी से परिचय कराने का आभार। इनकी कवितायें बहुत पसंद आयीं। एक अलग ही अंदाज़ में लिखी हुई हैं। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-9451899260180791942011-01-15T18:54:27.901+05:302011-01-15T18:54:27.901+05:30सुन्दर प्रस्तुतिसुन्दर प्रस्तुतिKunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-11132463736903527002011-01-15T17:59:17.463+05:302011-01-15T17:59:17.463+05:30बेहतरीन प्रस्तुति...
दोनों ही रचनाएं बहुत अच्छी ह...बेहतरीन प्रस्तुति...<br /><br />दोनों ही रचनाएं बहुत अच्छी हैं...फ़िरदौस ख़ानhttps://www.blogger.com/profile/09716330130297518352noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-58567592514639842932011-01-15T16:31:12.718+05:302011-01-15T16:31:12.718+05:30बेहतरीन प्रस्तुति
आधुनिका के लिये तो कवि बधाई के...बेहतरीन प्रस्तुति <br />आधुनिका के लिये तो कवि बधाई के पात्र हैंइस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-20050033970744910292011-01-15T15:25:53.487+05:302011-01-15T15:25:53.487+05:30आधुनिक युग का बढ़िया व्यंग्य..कवि की कल्पना का जबा...आधुनिक युग का बढ़िया व्यंग्य..कवि की कल्पना का जबाब नहीं कि क्या-क्या सोच लेता है और क्या मोड़ दे देता है किसी बिषय पर लिखने के लिये..इसका उदाहरण है ये कविता.Shanno Aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-71533761621676930692011-01-15T11:26:23.560+05:302011-01-15T11:26:23.560+05:30शानदार व्यंग्य के साथ दोनो रचनायें खूबसूरतशानदार व्यंग्य के साथ दोनो रचनायें खूबसूरतvandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-83904622475753849442011-01-15T11:07:48.511+05:302011-01-15T11:07:48.511+05:30"ऊँची ऊँचाई" पर जब
हाँफने लगें रिश्ते
तो..."ऊँची ऊँचाई" पर जब<br />हाँफने लगें रिश्ते<br />तो<br />उड़ेलना होगा<br />फटे फेफड़ों में<br />इन्हीं सीसियों को<br /><br />बहुत ही गहरे भाव लिये हुये सुन्दर अभिव्यक्ति ....रश्मि दी, आपका आभार इस बेहतरीन प्रस्तुति को वटवृक्ष पर लाने के लिये ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.com