tag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post1697426248725649696..comments2023-12-02T15:15:35.792+05:30Comments on वटवृक्ष: बुढ़ापारवीन्द्र प्रभातhttp://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-60868584983600543252012-10-06T11:04:22.569+05:302012-10-06T11:04:22.569+05:30Aapko nmn krta hu aapke vichar utm h......ankhon m...Aapko nmn krta hu aapke vichar utm h......ankhon me pani la diya..mera manna h ke yadi dust prani ise pdhe to jrur unka dil psij jayega...or mn bdlega..<br />INSO Kunduhttps://www.blogger.com/profile/01027817522023042619noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-72359183267682648982012-08-25T01:13:12.183+05:302012-08-25T01:13:12.183+05:30हर बुजुर्ग की कहानी ।
बढिया लेख बढिया तात्पर्य ।
हर बुजुर्ग की कहानी ।<br />बढिया लेख बढिया तात्पर्य ।<br />Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-10123312738340534252012-08-23T12:07:57.740+05:302012-08-23T12:07:57.740+05:30प्रीत अरोड़ा को पिछले दस दिनों से पांच बार पढ़ना ह...प्रीत अरोड़ा को पिछले दस दिनों से पांच बार पढ़ना हो गया। उनके लेखन से अपार संभावनाएं हैं। बुजुर्गों के प्रति लिखे लेख से उन्होंने समकालीन परिवेश में बुजुर्गों की स्थिति को अच्छे ढंग से रखा है।मनोज भारतीhttps://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-62707665721787328272012-08-23T07:49:05.589+05:302012-08-23T07:49:05.589+05:30जिनकी ऊँगली पकड़ कर हम चलना सीखे , आज हमारे होते अ...जिनकी ऊँगली पकड़ कर हम चलना सीखे , आज हमारे होते अगर वे असहाय महसूस करें तो यह जीवन ही नारकीय है और शायद हमसे नीच कोई नहीं !<br />बढ़िया लेख के लिए आभार रविन्द्र प्रभात जी ! Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-42619569094578310892012-08-22T16:49:34.728+05:302012-08-22T16:49:34.728+05:30जो न करे प्यार बुजुर्गों से,है उनको धिक्कार
यही ...जो न करे प्यार बुजुर्गों से,है उनको धिक्कार <br />यही समृद्ध सुखी जीवन का,जीने का आधार,,,,<br /><br />RECENT POST <a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2012/08/blog-post_19.html#comment-form" rel="nofollow">...: जिला अनूपपुर अपना,,,</a><br />RECENT POST <a href="http://dheerendra21.blogspot.in/2012/08/blog-post.html#comment-form" rel="nofollow">मन की फुहार....: प्यार का सपना,,,,</a><br /> <br />धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-24819979151605632052012-08-22T15:57:40.999+05:302012-08-22T15:57:40.999+05:30धिक्कार है ऐसे लोगों पर ..धिक्कार है ऐसे लोगों पर ..Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-33418375333533643672012-08-22T15:35:30.409+05:302012-08-22T15:35:30.409+05:30बिल्कुल सही कहा है आपने ... उत्कृष्ट प्रस्तुति...बिल्कुल सही कहा है आपने ... उत्कृष्ट प्रस्तुति।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-11453779567053147362012-08-22T15:07:16.407+05:302012-08-22T15:07:16.407+05:30सारगर्भित आलेख है ... जहाँ बुज़ुर्ग रहते हैं वहाँ ...सारगर्भित आलेख है ... जहाँ बुज़ुर्ग रहते हैं वहाँ स्वर्ग होता है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-89515308042445265202012-08-22T11:15:46.851+05:302012-08-22T11:15:46.851+05:30बुजुर्गों से करें प्यार
यही है समृद्ध सुखी जीवन का...बुजुर्गों से करें प्यार<br />यही है समृद्ध सुखी जीवन का आधार l...बहुत सटीक...Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-29171735586527274932012-08-22T10:50:32.496+05:302012-08-22T10:50:32.496+05:30बुजुर्गों के साथ होने वाले व्यवहार पर सुन्दर चिंतन...बुजुर्गों के साथ होने वाले व्यवहार पर सुन्दर चिंतन,इसी कड़ी में अभी लिखी एक कविता <br />आज टहलते टहलते<br />एक पेड़ के नीचे बैठा <br />परिचित बूढा मिल गया <br />इस तरह अकेले चुपचाप<br />बैठे रहने का कारण पूछा <br />नम आँखों से कहने लगा <br />अब कोई चारा भी नहीं <br />ना कोई सुनता ,<br />ना समझता मुझको<br />कुछ कहने से पहले ही <br />चुप कर दिया जाता<br />निरंतर <br />प्रताड़ित होना पड़ता <br />मेरे लिए किसी के पास <br />समय नहीं<br />सब अपने काम में व्यस्त हैं <br />व्यथित हो <br />कहीं जाने का प्रयत्न करता <br />तो थोड़ी दूर चल कर ही <br />थक जाता<br />वैसे भी डूबते सूरज को <br />कौन नमस्कार करता है<br />अब बेबसी सहारा है<br />सुबह दो रोटी लेकर <br />घर से निकलता हूँ<br />पेड़ के नीचे दिन गुजारता हूँ <br />आने जाने वालों को देख कर<br />मन लगाता हूँ<br />कोई पास आ जाता तो <br />दो बात कर लेता हूँ <br />इसी तरह दिन गिनता <br />रहता हूँ <br />Nirantarhttps://www.blogger.com/profile/02201853226412496906noreply@blogger.com