tag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post1152753064281115915..comments2023-12-02T15:15:35.792+05:30Comments on वटवृक्ष: मेरा क्या गुनाह है ?रवीन्द्र प्रभातhttp://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-36360389658371220422011-02-07T21:47:11.411+05:302011-02-07T21:47:11.411+05:30यूँ हीं तुमने हमें गुनहगार बना दिया
और हमारे छोटे...यूँ हीं तुमने हमें गुनहगार बना दिया <br />और हमारे छोटे छोटे ख़्वाबों को सूली पे चढ़ा दिया <br />bahut sunder pangtiyan hain.kavita to hai hi achchi.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-87164327047693732272011-02-07T21:19:16.596+05:302011-02-07T21:19:16.596+05:30bahut hi gahari baat liye huye hai rachna...
bahut...bahut hi gahari baat liye huye hai rachna...<br />bahut sundar...सु-मन (Suman Kapoor)https://www.blogger.com/profile/15596735267934374745noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-60238625271855160282011-02-07T20:38:56.378+05:302011-02-07T20:38:56.378+05:30कैलाश जी की ये रचना पहले भी पढी है...
आज यहाँ पढ़क...कैलाश जी की ये रचना पहले भी पढी है...<br />आज यहाँ पढ़कर भी अच्छा लगा...<br />वाकई ये दूसरा पहलू है...<br />आपकी पन्तियाँ तो किसी भी रचना का सर होती हैं बड़ी माँ...POOJA...https://www.blogger.com/profile/03449314907714567024noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-71568533460024287732011-02-07T20:33:25.693+05:302011-02-07T20:33:25.693+05:30गहन संवेदनाएं समेटे, जीवन की कटु सच्चाईयों से रूबर...गहन संवेदनाएं समेटे, जीवन की कटु सच्चाईयों से रूबरू कराती, मर्मस्पर्शी सुंदर रचना. आभार.<br />सादर, <br />डोरोथी.Dorothyhttps://www.blogger.com/profile/03405807532345500228noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-82579673044161950672011-02-07T13:59:56.485+05:302011-02-07T13:59:56.485+05:30मन को भीतर तक कचोटते हैं ये सवाल ...
कौन हैं इनके...मन को भीतर तक कचोटते हैं ये सवाल ... <br />कौन हैं इनके सपनों के सौदागर ...<br />ये तुम कोई सिर्फ एक नहीं ...पूरा समाज <br /><br />मार्मिक रचना !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-66383887087825679142011-02-07T12:49:17.033+05:302011-02-07T12:49:17.033+05:30समाज की सच्चाई है ये तो..
मैंने भी कुछ लिखा था अभी...समाज की सच्चाई है ये तो..<br />मैंने भी कुछ लिखा था अभी इसी पे..<br />ब्लॉग पे "आत्महत्या" पढ़िएगा..<br /><br />लोग कहते हैं की नकारात्मक मत लिखो.. पर कभी-कभी मन में वही भाव रहते हैं.. रुकते नहीं हैं..<br /><br />फिर कुछ हल्का-फुल्का ही लिखा.. "जियो जी" भी पढ़िएगा..<br /><br />आभारPratik Maheshwarihttps://www.blogger.com/profile/04115463364309124608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-23031381314684165542011-02-07T12:47:19.702+05:302011-02-07T12:47:19.702+05:30बहुत ही बेहतरीन लिखा है,
पूरे मन के भावों को एक क...बहुत ही बेहतरीन लिखा है,<br /><br />पूरे मन के भावों को एक कविता में पिरो दिया, कमाल हैDr. Yogendra Palhttps://www.blogger.com/profile/15028175080069734310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-79121860767115405612011-02-07T12:46:12.933+05:302011-02-07T12:46:12.933+05:30लेकिन कभी सोचा है
कितना दर्द सहा है
मैंने हर दिन
अ...लेकिन कभी सोचा है<br />कितना दर्द सहा है<br />मैंने हर दिन<br />अपने शरीर, आत्मा और सपनों को<br />सलीब पर लटके देख कर.<br /><br />समाज को आईना दिखाती एक कटु सच्चाई को आपने जिस तरह प्रस्तुत किया है काबिल-ए-तारीफ़ है…………शायद ये दर्द कोई नही समझ पाता है चाहे फिर वो कोई भी हो हम सब सिर्फ़ लिख सकते हैं इस पर या बात कर सकते है मगर स्वीकार नही कर पाते इस हकीकत को।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-72850610404393514462011-02-07T12:26:58.134+05:302011-02-07T12:26:58.134+05:30जिस्म के व्यापर के बारे में कहा जाता है कि यह दुनि...जिस्म के व्यापर के बारे में कहा जाता है कि यह दुनिया का सबसे पुराना व्यापर है .... कितनी दुखद बात है कि नारी देह का सौदा करना पुरुष तबसे सीख चूका था जबसे पढ़ना लिखना भी नहीं आता था ... कहीं तो मानव समाज में कुछ मूलभूत समस्या है ... बहुत सुन्दर रचना ! आपने एक अनछुई पहलु को छूने का साहस किया है ... कुछ लोगों को यह पढ़ना शायद अच्छा न लगे ... पर हमारे समाज का गन्दा सत्य यही है ...Indranil Bhattacharjee ........."सैल"https://www.blogger.com/profile/01082708936301730526noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-15141184116913648992011-02-07T11:58:31.629+05:302011-02-07T11:58:31.629+05:30हकीकत से सामना ।हकीकत से सामना ।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5300117287075212784.post-26837873101200157122011-02-07T11:15:40.199+05:302011-02-07T11:15:40.199+05:30लगवा दी व्यापार में पूंज़ी
न केवल मेरे शरीर की
बल्...लगवा दी व्यापार में पूंज़ी<br />न केवल मेरे शरीर की<br />बल्कि आत्मा<br />और सम्पूर्ण अस्तित्व की.<br /><br />बेहतरीन शब्द रचना ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.com