तिहास पुरुष,महानायक, हिंदवी साम्राज्य के प्रणेता, कुशल प्रशासक और गोरिल्ला युद्ध के जनक जैसे अनेक उपमाओं से विभूषित शिवाजी की समग्र जीवनी पर आधारित मराठी नाटक "जाणता राजा" का पहला प्रदर्शन पुणे में 1985 में हुआ था। इसके लेखक व निर्देशक बाबा साहेब पुरंदरे हैं। 

हिंदी,मराठी व अंग्रेजी तीन भाषाओं में इसका मंचन लगभग 1000 बार हो चुका है। इस नाटक में महाराष्ट्र के पोवाड़ा,गोंधळ,कोळी गीत, गवळण और लावणी जैसे अनेक लोकगीतों और नृत्यों का समावेश किया गया है। इसमें हर दो-चार मिनट के एक दृश्य के बाद सूत्रधार और उनकी मंडली पोवाड़ा के माध्यम से कथा को आगे बढ़ाते हैं। इस नाटक की सबसे बड़ी विशेषता है, कि 200 से ज्यादा कलाकारों की इस टीम का एक-एक सदस्य अभिनय करता हुआ नही बल्कि उस पात्र विशेष को जीता हुआ सा प्रतीत होता है। 

पूरे नाटक में आप जिजामाता के यहां शिवा का जन्म,बचपन की अठखेलियां, शस्त्र शिक्षा,माता का स्वराज्य उपदेश,आदिलशाही के विरोध में मराठाओं का विद्रोह से लेकर शिवाजी की न्यायप्रियता और उनका राज्याभिषेक जैसे कई प्रसंग देख पाते हैं। आज हम ब्लॉगोत्सव के अंतर्गत आप सभी के लिए यह नाटक लेकर आए हैं, देखिये औए बताइये इस नाटक को देखकर कैसा महसूस हुआ। 

आप भले ही आप नाटक/थिएटर के शौकीन न हो लेकिन फ़िर भी मेरा दावा है कि इस मंचन को देखकर आपको अफसोस नही होगा।
 
आज के शेष कार्यक्रमों के लिए चलिये चलते है परिकल्पना पर.....

1 comments:

  1. 'जाणता राजा' का मंचन देखकर मन विभोर हो गया.. बहुत बहुत बधाई इस सुंदर प्रस्तुतीकरण के लिए.

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