THURSDAY, MAY 03, 2007

कौन यह किशोरी?



चुलबुली सी, लवँग लता सी,
कौन यह किशोरी ?
मुखड़े पे हास,रस की बरसात,
भाव भरी, माधुरी !
हास् परिहास, रँग और रास,
कचनार की कली सी,
कौन यह किशोरी?
अल्हडता,बिखराती आस पास,
कोहरे से ढँक गई रात,
सूर्य की किरण बन,
बिखराती मधुर हास!
कौन यह किशोरी?
भोली सी बाला है,
मानों उजाला है,
षोडशी है या रँभा है ?
कौन जाने ऐसी ये बात!
हो तेरा भावी उज्ज्वलतम,
न होँ कटँक कोई पग,
बाधा न रोके डग,
खुलेँ होँ अँतरिक्ष द्वार!
हे भारत की कन्या,
तुम,प्रगति के पथ बढो,
नित, उन्नति करो,
फैलाओ,अँतर की आस!
होँ स्वप्न साकार, मिलेँ,
दीव्य उपहार, बारँबार!
है, शुभकामना, अपार,
विस्तृत होँ सारे,अधिकार!
यही आशा का हो सँचार !

5 comments:

  1. हे भारत की कन्या,
    तुम,प्रगति के पथ बढो,
    नित, उन्नति करो,
    फैलाओ,अँतर की आस!
    होँ स्वप्न साकार, मिलेँ,
    दीव्य उपहार, बारँबार!..nice

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  2. बढ़ते जायें, हम अनन्त पथ..

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  3. ...क्या प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रही इस अबोध,नाजुक कली सी भारतीय कन्या की सुरक्षा का जिम्मा उसके जीवन-दाता माता-पिता का नहीं है?..भारतीय नागरिकों का नहीं है?...भारतीय प्रशासन का नहीं है?...अगर है, तो ये कन्या भारत में रहते हुए भी असुरक्षित क्यों है?

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  4. हे भारत की कन्या,
    तुम,प्रगति के पथ बढो,
    नित, उन्नति करो,
    फैलाओ,अँतर की आस!
    आमीन ...

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