राजेंद्र यादव के नाम उद्भ्रांत का एक खुला पत्र राजेंद्र यादव के नाम उद्भ्रांत का एक खुला पत्र

‘हंस’ के जून, 2013 के अंक में श्री राजेंद्र यादव ने वरिष्ठ साहित्यकार उद्भ्रांत के सम्बंध में एक आपत्तिजनक पत्र छापा था। एक महीने पूर्व ...

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6:16 PM

गोरी होली खेलन चली...... गोरी होली खेलन चली......

आयी है रंगो की बहार गोरी होली खेलन चली ललिता भी खेले विशाखा भी खेले संग में खेले नंदलाल... गोरी होली खेलन चली । लाल गुलाल व...

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3:46 PM

आरम्भ से - अशोक आंद्रे आरम्भ से - अशोक आंद्रे

Sunday, August 28, 2011 अशोक आंद्रे साकार करने के लिए  कविताएँ रास्ता ढूंढती हैं  पगडंडियों पर चलते हुए  तब पीछ...

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1:35 PM

आरम्भ से - रूपसिंह चंदेल आरम्भ से - रूपसिंह चंदेल

शनिवार, 8 मार्च 2008 उच्च शिक्षा उच्च शिक्षा के अवरोधी रूपसिंह चन्देल मार्च,८ को महिला दिवस के रूप में मनाया गया. ...

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3:05 PM

आरम्भ से - इस्मत ज़ैदी आरम्भ से - इस्मत ज़ैदी

शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2009 ग़ज़ल http://ismatzaidi.blogspot.in/2009_10_09_archive.html टीवी पर दिखाई गई बाढ़ की तस्वीरों...

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12:10 PM

आरम्भ से - रश्मि रविज़ा आरम्भ से - रश्मि रविज़ा

Friday, January 22, 2010 ब्लॉग जगत एक सम्पूर्ण पत्रिका है या चटपटी ख़बरों वाला अखबार या महज एक सोशल नेटवर्किंग साईट ? rashmirav...

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11:55 AM

आरम्भ से - शोभना चौरे आरम्भ से - शोभना चौरे

  http://shobhanaonline. blogspot.in/2008/07/blog-post_ 28.html शोभना चौरे वेदना तो हूँ पर संवेदना नहीं, सह तो हूँ पर अनुभूति नह...

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1:48 PM

आरम्भ से - नीरज गोस्वामी आरम्भ से - नीरज गोस्वामी

नीरज गोस्वामी मुम्बई, महाराष्ट्र, India अपनी जिन्दगी से संतुष्ट,संवेदनशील किंतु हर स्थिति में हास्य देखने की प्रवृत्ति.जीवन के अ...

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11:15 AM

आरम्भ से - लावण्या शाह आरम्भ से - लावण्या शाह

THURSDAY, MAY 03, 2007 कौन यह किशोरी? http://antarman-antarman. blogspot.in/2007/05/blog-post. html चुलबुली सी, लवँग ल...

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12:10 PM

आरम्भ से - अनूप भार्गव आरम्भ से - अनूप भार्गव

  अनूप भार्गव ज़िन्दगी इक खुली किताब यारो, पुण्य हैं कम पाप बेहिसाब यारो 6/21/2005 Asking for a Date http://anoopbhargava....

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11:38 AM

आरम्भ से ... रंजना भाटिया आरम्भ से ... रंजना भाटिया

Monday, February 26, 2007 अधूरा जीवन http://ranjanabhatia.blogspot.in/2007/02/blog-post_25.html ज़िंदगी को पूरी तरह से ...

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10:45 AM

आरम्भ से ... उड़न तश्तरी आरम्भ से ... उड़न तश्तरी

बुधवार, अप्रैल 26, 2006 एक भोजपुरी टाईप की गज़ल लिखने का प्रयास मेरा ननिहाल और ददिहाल दोनो ही गोरखपुर, उ.प्र., ह...

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11:17 AM

“बिदेसिया त निरहुआ है“ “बिदेसिया त निरहुआ है“

(भिखारी ठाकुर की १२५ जयंती पर एक कविता (20th December 2012) कुछ सालों से खोजता फिरता हूँ भिखारी आपको लोक कला के नाम पर तमाश...

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4:43 PM

मौन के शब्दकोश में हैं करोड़ों अनपढ़े पन्ने… मौन के शब्दकोश में हैं करोड़ों अनपढ़े पन्ने…

आओ उन पन्नों की कुछ सांकलें खोलें  रुनझुन धीमी सी हंसी से कोई कविता लिखें  दीवारों पे अंकित लफ़्ज़ों से नाता जोड़ें  रश्मि ...

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12:29 PM

धुंआं-धुंआं धुंआं-धुंआं

झुग्गी झोपड़ियों से जो धुंआ निकलता है  उसमें कई उम्मीदों की भूख मिटती है  बहुत शांत खामोशी आकाश को छूती है  धुएं के साथ साथ .... ...

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10:13 AM

सम्मान" सम्मान"

मुस्कान मासूम, सपने अनंत ------ क्या बताऊँ इसे  और किन किन सवालों के उत्तर दूँ  मैं हूँ कवच  पर समय कब यह कवच ले ले  फिर ???...

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10:43 AM

जबकि, जानता हूँ... जबकि, जानता हूँ...

हम जानते हैं  फिर भी चाहते हैं  ना चाहें तो असंभव संभव होगा कैसे !  रश्मि प्रभा ============================================...

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12:06 PM

वह सृष्टि है .. वह सृष्टि है ..

वह सबकुछ है  पर कुछ भी नहीं है   रश्मि प्रभा  ================================================================= ...

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1:07 PM
 
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