सबूत तो जला दिए जाते हैं 
जो पेश है - वह झूठ है !

रश्मि प्रभा 
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सबूत कर रहा हूं इकट्ठा 
वो सारे सबूत
वो सारे आंकडे 
जो सरासर झूटे हैं
और 
जिसे बडी खूबसूरती से
तुमने सच का जामा पहनाया है
कितना बडा छलावा है
मेरे भोले-भाले मासूम जन
ब-आसानी आ जाते हैं झांसे में

ओ जादूगरों 
ओ हाथ की सफाई के माहिर लोगों
तुम्हारा तिलस्म है ऎसा
कि सम्मोहित से लोग 
कर लेते यकीन
अपने मौजूदा हालात के लिए 
खुद को मान लेते कुसूरवार
खुद को भाग्यहीन......
पहचान (pehchan)



अनवर सुहैल 

4 comments:

  1. ओ जादूगरों
    ओ हाथ की सफाई के माहिर लोगों
    तुम्हारा तिलस्म है ऎसा
    कि सम्मोहित से लोग
    कर लेते यकीन
    अपने मौजूदा हालात के लिए
    खुद को मान लेते कुसूरवार
    खुद को भाग्यहीन......
    अनुभव के शब्द दिखे !!

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  2. हथेली पर सरसों उगाना कोई इनसे सीखे...

    जादू है या तलिस्म है उनकी जुबान में
    वो झूठ कह रहा था मुझे ऐतबार था...

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  3. रचना में छिपा व्यंग धारदार है

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  4. सटीक व्यंग आभार

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