ख्याल उनींदी पलकों में भी होते हैं 
तेरा होना ख्याल सा .... जीवन सार लगता है !



रश्मि प्रभा


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सुनहरी धूप   में 
आँखों को चौंधियाते 
भुरभुरी रेत के टीबे  से 
होते हैं कुछ ख़याल 
पास बुलाते हैं इशारे से 
छू कर  देखे तो 
पल में  बिखर जाते हैं !

उम्र की सरहदों के पार 
बालों से झांकती सफेदी के बीच 
मोतियाबंदी आँखों में झिलमिलाते  
पोपले चेहरे की लजीली मुस्कराहट 
हमसाया सा  आस -पास 
जीवन भर रहता  एक  ख़याल !!

अहसास की किताबों के पन्ने 
लिखे जाते हैं स्वयं ही 
मन हुआ तो पढ़ लिया 
वर्ना पन्ने पलट दिए .
ऐसे ही किसी पन्ने पर  
लिखा हुआ  कोई ख़याल !!

काली गहरी रात के वितान पर 
सुनहरे सितारों से सजा 
बेखटके निहारते 
आसमान पर टांग दिया 
एक खयाल !


जीवन मुट्ठी से फिसलती रेत -सा
पलकों के इर्द गिर्द रहा एक  ख्याल 
मुद्दतों यही सोच कर आँखें रोई नहीं 
गीली रेत  पर क़दमों के निशाँ साफ़ नजर आते हैं .!!


वाणी शर्मा 

6 comments:

  1. जीवन मुट्ठी से फिसलती रेत -सा
    पलकों के इर्द गिर्द रहा एक ख्याल
    मुद्दतों यही सोच कर आँखें रोई नहीं
    गीली रेत पर क़दमों के निशाँ साफ़ नजर आते हैं .!!
    अनुपम भाव लिये उत्‍कृष्‍ट अभिव्‍यक्ति

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  2. मुद्दतों यही सोच कर आँखें रोई नहीं
    गीली रेत पर क़दमों के निशाँ साफ़ नजर आते हैं .!!

    गहन लेखन वाणी जी का ...
    हृदयस्पर्शी रचना .....

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  3. गीली रेत पर क़दमों के निशाँ साफ़ नजर आते हैं .!!
    चुनिंदा शब्दों का चयन , विचारशील रचना |

    सादर

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  4. मुद्दतों यही सोच कर आँखें रोई नहीं
    गीली रेत पर क़दमों के निशाँ साफ़ नजर आते हैं .!!

    ..बहुत भावपूर्ण अहसास...बहुत उत्कृष्ट प्रस्तुति...

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