आज फिर सुबह 
चाय के साथ 
अखबार  पढ़ रही थी ,
उफ्फ्फ फिर वही खबर 
एक औरत की अस्मत लुटी गयी.....
फिर उसके पुरे एहसास को 
कुचल दिया गया ,
चंद लोग अपनी वेह्शत 
को अंजाम देने के लिए 
न जाने कितनी बहनों
के साथ यह घिनोनी 
हरकत करते है ......
पढ़ कर मन आक्रोश से भर गया 
इतना गुस्सा आया की 
पता नहीं क्या कर दू ,
पर फिर लगा यह सब बेकार ,
पढ़ा दुःख हुआ 
गुस्सा भी आया ,
पर कुछ दिनों मे
सब भूल जाएंगे ,
फिर ज़िन्दगी वैसे हि चलने लगेगी ,
आज खुद को पहली बार 
अपंग महसूस कर रही थी.....

  
  रेवा 

7 comments:

  1. आज का कटु सत्य...बहुत मार्मिक प्रस्तुति...

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  2. सार्थकता लिए हुए सटीक लेखन ।

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  3. aisaa hee ho rahaa hai...aur ham hai ki kuchh nahee kar paa rahe!...sundar bhaavokti!

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  4. कटु सत्य है यह .. हम निर्विकार होते जा रहे हैं.

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  5. बहुत सुंदर, बिल्कुल सत्य

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  6. ये एहसास हर संवेदनशील नागरिक को है...वो खुद को असहाय और अपंग महसूस करता है...

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  7. घटनाओं का बार- बार दुहराया जाना संवेदनशीलता को कम करता जाता है !
    सही लिखा है आपने !

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