प्रेम है प्रभु
या प्रभु है प्रेम में
प्रेम में ही ज्ञान है
प्रेम में ही सार है
समर्पण मुक्ति है ...........




रश्मि प्रभा
================================================================
प्रेम गली अति सांकरी

प्रेम हमें मानव से महामानव बना सकने की सामर्थ्य रखता है, प्रेम जो देना जानता है मात्र लेना नहीं. ईश्वर से अनन्य प्रेम हो तो हृदय में कृपणता नहीं रहती, रोग, शोक, मोह तो ऐसे छूट जाते हैं जैसे वस्त्रों को झाड़ देने पर धूल छूट जाती है. प्रेम पूर्वक यदि उसे बुलाएँ तो वह प्रकट भी होता है और नित्य नवीन रस का अनुभव कराता है. उस प्रेम के आगे संसार की अमूल्य से अमूल्य वस्तु भी कमतर है. उसका स्मरण ऐसी ऊँचाइयों पर ले जाता है जहाँ कुछ शेष नहीं रह जाता. जहाँ केवल वही रह जाता है. अपना आपा तो रहता ही नहीं, जो मिथ्या है, उसे तो नष्ट होना ही है, जो है उसी की सत्ता रह जाती है. उसी के नाते तो हमें इस सृष्टि से प्रेम है. उसे हमारा प्रेम भरा दिल ही चाहिए और कुछ नहीं, उस पल में उसके और हमारे मध्य और कुछ नहीं रहता. न संसार, न कोई इच्छा...बस दो ही सम्मुख होते हैं. वह प्रिय है, सम्पूर्ण है, अनंत है कि उसमें सब समाया है, फिर उसके बिना यहाँ कुछ और है ही नहीं, वह एक क्षण के लिये भी हमसे दूर नहीं है.
My Photo
अनीता निहलानी

12 comments:

  1. जो बस है, तो प्रेम है...
    जो प्रेम नहीं, तो कुछ नहीं...
    कुछ भी तो नहीं!!

    ReplyDelete
  2. अपनी बड़ाई नहीं करता प्रेम स्‍वयं कभी
    बस मन में आस्‍था रखते हुये
    आशान्वित हो जाता है
    हर बात के प्रति
    इतनी सहनशीलता होती है प्रेम में
    इसमें तो अन्‍तर्मन बस कुंदन हो जाता है
    वह देना सीख लेता है
    पाने की अपेक्षा ....

    ReplyDelete
  3. उसके बिना यहाँ कुछ और है ही नहीं,

    ढाई अक्षर प्रेम में समाया ब्रह्माण्ड .... !!

    ReplyDelete
  4. प्रेम निह्स्सिम है ........क्योंकि उसका उद्गम भीतर है ....!!!!

    ReplyDelete
  5. है प्रेम जगत मे सार और कुछ सार नही।

    ReplyDelete
  6. वटवृक्ष पर डायरी के पन्ने को देखकर अच्छा लग रहा है...प्रेम का ही तो प्रसाद है यह भी...आभार रश्मि जी.

    ReplyDelete
  7. प्रेम हमें मानव से महामानव बना सकने की सामर्थ्य रखता है
    सम्पूर्ण सच

    ReplyDelete
  8. बहुत सुन्दर भावार्थ इन पक्तियों में छिपा हुआ है!
    बहुत प्यारी रचना.

    ReplyDelete

 
Top