दोष इसका है या उसका है , इसको बताने से पहले
अपने इस मुल्क के लिए कुछ तो कर जाओ लोगों ...


रश्मि प्रभा


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कुछ तो करो लोगों

अक्सर यहाँ वहां होने वाले दंगों के बाद लगी आग ने ये लिखने पर मजबूर किया मजबूरी इसलिए क्योंकि ऐसी ग़ज़लें खुशी में नहीं लिखी जातीं ।

आग ही आग है हर सिम्त बुझाओ लोगों
जल रहे बस्ती में इन्सान बचाओ लोगों

दुश्मनी खत्म हो और दोस्ती का हाथ बढे
हो सके गर तो ये एहसास जगाओ लोगों

दुश्मनी किस से है क्यों है ये अलग मसला है
नन्हें बच्चों पे तो मत दाओ लगाओ लोगों

टूटी ऐनक है जले बसते हरी चूड़ी है
जाओ बस्ती में ज़रा देख के आओ लोगों

बेखताओं को न मारो यही कहते हैं धरम
जो नहीं जानते ये उन को बताओ लोगों


जब के रावण था मरा , राम ने ये हुक्म दिया
साथ इज्ज़त के रसूमात निभाओ लोगों

दिल है बेचैन 'शेफा' मुल्क की इस हालत पर
अब भी खामोश हैं हम ख़ुद को जगाओ लोगों
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इस्मत जैदी

14 comments:

  1. दुश्मनी खत्म हो और दोस्ती का हाथ बढे
    हो सके गर तो ये एहसास जगाओ लोगों

    दुश्मनी किस से है क्यों है ये अलग मसला है
    नन्हें बच्चों पे तो मत दाओ लगाओ लोगों
    सार्थक व सटीक बात कही है आपने ...आभार ।

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  2. सार्थक चिन्तन को दर्शाती गज़ल्।

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  3. ये एहसास सभी में जग जाएं, तो यह दुनिया जन्नत बन जाए..

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  4. दोष इसका है या उसका है , इसको बताने से पहले
    अपने इस मुल्क के लिए कुछ तो कर जाओ लोगों ...
    सत्य है यही,यही जगाना है।

    सादर

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  5. बहुत खूब....

    काश कि ये बातें लोगों की समझ में आ जाती..
    सार्थक गज़ल..

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  6. दुन्दुभी बन कर गूंजे यह आह्वान!
    बहुत खूब!

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  7. bahut prerir karti hui behtreen ghazal.

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  8. सार्थक आह्वान!

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  9. सार्थक आह्वान!

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  10. दिल है बेचैन 'शेफा' मुल्क की इस हालत पर
    अब भी खामोश हैं हम ख़ुद को जगाओ लोगों
    सार्थक सन्देश देती अभिव्यक्ति

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  11. बहुत सुन्दर सृजन , बधाई.

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  12. बहुत बढ़िया सोच

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  13. दुश्मनी खत्म हो और दोस्ती का हाथ बढे ,
    दुश्मनी किस से है क्यों है ये अलग मसला है.... !!!
    जब के रावण था मरा , राम ने ये हुक्म दिया
    साथ इज्ज़त के रसूमात निभाओ लोगों.... !!!!!!!!!!!
    काश ये बातें सभी के समझ आजाती ,धरती जन्नत बन जाती..... !!

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