बालू के घरौंदे ...
छप छप होती लहरें
किसी नन्हीं चिड़िया का इधर उधर देखना
चलते चलते हाथ पकड़ यूँ ही मुस्कुराना
अचानक बारिश की बूंदों से भीगना
तवे पर किसी के लिए रोटियाँ सिंकना .... प्यार होता तो यही है !
....
कहते हैं लोग ताजमहल है प्यार का प्रतीक !!!
एक अदभुत ईमारत है ज़रूर
अदभुत दृश्य .... पर प्यार !
.....
प्यार तो टूटी झोपडी में होता है
जब टपकती बूंदों के आगे कोई टूटा बर्तन रख देता है
नींद न खुले - इस एहसास के साथ ...
प्यार तो खट्टे टिकोलों में भी होता है
परछाइयों से खेलने में होता है
....
एक बात कहूँ -
प्यार भगवान् है
वह हर हाल में साथ होता है ...


रश्मि प्रभा



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प्यार की परिभाषा..

तुम्हारे लिए प्यार था
ज़मीं से फलक तक साथ चलने का वादा..
और मैं खेत की मेड़ों पर हाथ थामे चलने को
प्यार कहती रही....
तुम चाँद तारे तोड़ कर
दामन में टांकने की बात को प्यार कहते रहे...
मैं तारों भरे आसमां तले
बेवजह हँसने और बतियाने को
प्यार समझती रही..
तुम सारी दुनिया की सैर करवाने को
प्यार जताना कहते..
मेरे लिए तो पास के मंदिर तक जाकर
संग संग दिया जलाना प्यार था...
तुम्हें मोमबत्ती के रौशनी में
किसी आलीशान होटल में
लज़ीज़ खाना, प्यार लगता था...
मुझे रसोई में साथ बैठ,एक थाली से ,
एक दूजे को
निवाले खिलने में प्यार दिखा...

शहंशाही प्यार था तुम्हारा...
बेशक ताजमहल सा तोहफा देता...
मौत के बाद भी...

मगर मेरी चाहतें तो थी छोटी छोटी...
कच्ची-पक्की ..खट्टी मीठी...चटपटी...
ठीक ही कहते थे तुम...
शायद पागल थी मैं.

मेरे मन का कोना, जो जाने क्यूँ अनछुआ था अब तक..अब आपको समर्पित.








अनुलता ' विद्या '

20 comments:

  1. ये ही पागलपन प्यार है ...कोई समझे या ना समझे .....पर हर दिल से प्यार करने वाला ऐसा ही होता हैं

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  2. खूबसूरत एहसास और खूबसूरत अभिव्यक्ति ....!!

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  3. सच प्यार तो ज़िन्दगी की छोटी छोटी बातों मे ही छुपा होता है।

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  4. बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

    कल 25/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्‍वागत है, ।। वक्‍़त इनका क़ायल है ... ।।

    धन्यवाद!

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  5. प्यार किसी सीमा में कैद नहीं होता...यह भी प्यार है वह भी प्यार है...

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  6. प्यार यही तो होता है।

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  7. बहुत खूबसूरत प्रस्तुति..

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  8. शहंशाही प्यार था तुम्हारा...
    बेशक ताजमहल सा तोहफा देता...
    मौत के बाद भी...

    मगर मेरी चाहतें तो थी छोटी छोटी...
    कच्ची-पक्की ..खट्टी मीठी...चटपटी...
    ठीक ही कहते थे तुम...
    शायद पागल थी मैं.

    ye antim panktiya puri rachna ka saar batati hain.. behad khubsurat...

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  9. सुन्दर अभिव्यक्ति.......

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  10. दोनों ही रचनाएं बहुत सुंदर हैं !!

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  11. बेहतरीन भावाभिव्यक्ती

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  12. शुक्रिया दी...
    मैंने पहले भूमिका पढ़ी तो लगा अरे ये तो कुछ मेरी एक कविता जैसे विचार है :-)
    ...

    आपका आभार रश्मि दी मेरी कविता का मान बढ़ाने के लिए....और भी हर बात के लिए..

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  13. बहुत ही बढ़िया।


    सादर

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  14. अद्वितीय रचनाएं
    यशोदा

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  15. बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........

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  16. छोटी-छोटी बातों से ही प्यार की बुनियाद मजबूत होती है...

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  17. प्यार की कोई परिभाषा नहीं होती प्यार तो बस प्यार होता है न अमीर न गरीब न बड़ा न छोटा बस एक अदबुद्ध सी भावना है यह जिसे देखने का सबका एक अलग नज़रिया है ...बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति

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  18. यहाँ प्यार के सिवा कुछ नहीं.... :)
    खुबसूरत अहसास की खुबसूरत अभिव्यक्ति.... :)

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