एक और नया वर्ष - पाने - खोने का शाश्वत क्रम . खोएंगे नहीं तो पाएंगे कैसे ? पाएंगे नहीं तो ख़ुशी कैसे व्यक्त करेंगे .... मन से या बेमन से शुभकामनाओं का आदान-प्रदान कैसे करेंगे ! मीठे बोल कभी भी व्यर्थ नहीं जाते , आशीर्वचन अंकुरित होते ही हैं .
जीवन का कोई भी पक्ष हो , सबकी अपनी सोच होती है तो नए वर्ष के कैनवस पर कुछ सोच के रंग लेकर मैं आई हूँ - शुभकामनाओं के आकाश पर एक इन्द्रधनुष मेरी तरफ से -

स्वागत नव वर्ष, है अपार हर्ष , है अपार हर्ष !

बीते दुख भरी निशा , प्रात : हो प्रतीत,
जन जन के भग्न ह्र्दय, होँ पुनः पुनीत

स्वागत नव वर्ष, है अपार हर्ष, है अपार हर्ष !
भेद कर तिमिराँचल फैले आलोकवरण,
भावी का स्वप्न जिये, हो धरा सुरभित

स्वागत नव वर्ष, है अपार हर्ष, है अपार हर्ष !

कोटी जन मनोकामना, हो पुनः विस्तिर्ण,
निर्मल मन शीतल हो , प्रेमानँद प्रमुदित

स्वागत नव वर्ष, है अपार हर्ष, है अपार हर्ष !

ज्योति कण फहरा दो, सुख स्वर्णिम बिखरा दो,
है भावना पुनीत, सदा कृपा करेँ ईश

स्वागत नव वर्ष, है अपार हर्ष, है अपार हर्ष !
*****
लावण्या 
http://lavanyam-antarman.blogspot.com/


नया साल.....

नया साल
उन बच्चो के नाम
जिनके पास
न ही है रोटी
न ही है ,
कोई खेल खिलोने
न ही कोई बुलाए
उन्हें प्यार से
न कोई सुनाये कहानी
पर बसे हैं ,
उनकी आंखों में कई सपने
माना कि अभी है
अभावों का बिछोना
और सिर्फ़ बातो का ओढ़ना
आसमन की छ्त है
और घर है धरती का एक कोना
पर ....
उनके नाम से बनेगी
अभी कागज पर
My Photoकुछ योजनायें
और साल के अंत में
वही कहेंगी
जल्द ही पूरी होंगी यह आशाएं ...
इसलिए ,उम्मीद की एक किरण पर .
नया साल उन बच्चो के नाम ...........
रंजू भाटिया [रंजना ]
http://ranjanabhatia.blogspot.com/


"नया साल"

आम इंसान की जिंदगानी में भी,
करिश्मा क्यूँ नहीं होता,
साल आता है, हर साल,
पर नया नहीं होता..
वही चिंता है, रोटी की,
तड़प रोज़ी की,
ऱब इन पर भी मेहरबां क्यूँ नहीं होता...
दाल रोटी पर अब तक जो
गुज़र करता था
My Photoहाल ये है के वो भी
अब नसीब नहीं होता....
साल नया तो अब दूर की बात रही,
रोज़ उठता तो है, मगर
सवेरा तक नहीं होता.........
आम इंसान की जिंदगानी में भी,
करिश्मा क्यूँ नहीं होता...............

संध्या शर्मा
http://sandhyakavyadhara.blogspot.com/


कैलेण्डर के पन्ने

पन्ने बदल जाते हैं
कैलेण्डर के
हर महीने और
आखिर में
कैलेण्डर ही
बदल जाता है
उतार दिया जाता है
दीवार से
मन के कोने से
My Photo
कितना साम्य है
कैलेण्डर और जीवन में
जहाँ रिश्ते महज पन्ने हैं



अरुण सी रॉय
http://www.aruncroy.blogspot.com/

नव वर्ष अभिनंदन

नव वर्ष के अभिनंदन में,
हम-तुम मिल कर वचन करें,
कदम से कदम मिला कर ही,
हम-तुम मिल कर कदम चलें,

न हों बातें तेरी-मेरी,
न हो बंधन जात-धर्म का,
न हो रस्में ऊंच-नीच की,
न हो बंधन सरहदों का,
न हो भेद नर और नारी में,

हो तो बस एक खुला बसेरा,
बिखरी हो फूलों की खुशबू,
रंग-रौशनी छाई हो,

बाहों में बाहें सजती हों,
कंधों संग कंधे चलते हों,
नर और नारी संग बढते हों,
जन्मों में खुशियां खिलती हों,

धर्म बना हो राष्ट्रमान,
कर्म बना हो समभाव,
नव वर्ष का अभिनंदन हो,
धर्म-कर्म का न बंधन हो,

खुशियां-खुशबू, रंग-रौशनी बिखरी हो,
गांव-गांव, शहर-शहर,
हर दिल - हर आंगन में,
नव वर्ष के अभिनंदन में,

My Photoमान बढा दें, शान बढा दें
चेहरे-चेहरे पे मुस्कान खिला दें,
हम-तुम मिलकर
वचन करें - कदम चलें,
नव वर्ष के अभिनंदन में ।



श्याम कोरी उदय 
http://kaduvasach.blogspot.com/

10 comments:

  1. कविताओं में व्यक्त आशा के स्वर धीरज बंधा रहे हैं।
    अच्छी रचनाएं।
    शुभ नववर्ष !

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  2. Happy new year..
    http://armaanokidoli.blogspot.com/2011/12/blog-post_31.html

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  3. सुन्दर कवितायें .. भावमय
    happy new year

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  4. वाह यहां तो ख़ज़ाना ही परोसा मिल गया. धन्यवाद.

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  5. यहां तो बड़ी-बड़ी बातें हो रही हैं..यहां से फूट चलो:)

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  6. प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं । नव वर्ष की अशेष शुभकामनाएं । धन्यवाद ।

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  7. वर्ष नव, हर्ष नव, उत्कर्ष नव... शुभ 2012...

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  8. nav varsh ki haardik badhaai va shubhakaamanaayen ...

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