मिट्टी में खेलकर
माँ के आँचल में छुपकर
ज़िन्दगी कितने सारे मायने दे जाती है...

रश्मि प्रभा

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मिट्टी और माँ

घर के आँगन में
गाय है और उसका बछड़ा
बच्चे गाँव के तालाब से
काली मिट्टी ले आये हैं
खिलौने बना रहे हैं है....

मिट्टी की को देखते ही में अंदर
सालों से निस्तेज हुई गज़ब की चेतना
सतेज होती हैं ...

शायद मेरा पुनर्जन्म देख रहा हूँ मैं
उन्हीं बच्चों में
अपने गाँव के कुम्हार के घर हर शाम को
उसके ही बेटे के साथ मिलकर खेलना
उनके गरीब माता-पिता की थकान की
रेखाओं को आनंद में परिवर्तित करते हुए
उनके ही बेटे के साथ उस काली मिट्टी में
पानी डालकर अपने पैरों से गोंदना ...

आज बड़ों से सुनता हूँ, खुद सोचता हूँ
मिट्टी और इंसान की फिलसूफी को
क्या फर्क हैं दोनों में....?

शरीर की ईस मिट्टी में क्या हैं?
देह तो नश्वर है, गंदकी से भरा
हाड, मांस और चरम का पिटारा
जिसे खोलते ही दुर्गंध....

तो फिर-
इस शरीर से इतना मोह क्यूं?
सुंदरता और भोग का आनंद क्यूं?

शरीर हैं तो सबकुछ हैं
शरीर सुगंध, अस्तित्त्व और पहचान है
शरीर से मन है, विचार, व्यवहार और जीवन का आनंद
शरीर भोग है तो आध्यात्म भी हैं
तो शरीर अपवित्र क्यूं हैं?.....

मिट्टी पवित्र है
मिट्टी पार्थेश्वर है, अंतिम विराम है
मिट्टी से आत्मिक लगाव है
और मिट्टी हमारी माँ हैं !

और
माँ से पवित्र ब्रह्माण्ड में कोई नहीं है !!







पंकज त्रिवेदी
संपादक नव्या www.nawya.in

11 comments:

  1. मिट्टी पवित्र है
    मिट्टी पार्थेश्वर है, अंतिम विराम है
    मिट्टी से आत्मिक लगाव है
    और मिट्टी हमारी माँ हैं !

    और
    माँ से पवित्र ब्रह्माण्ड में कोई नहीं है !!

    यकीनन ..।

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  2. aadhyatm bhaav se mishrit maa aur mitti ki mahanta ke bhaav jagati hui prastuti.bahut sundar.

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  3. अप्रतिम समानताएं हैं दोनों में... मिट्टी और माँ!

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  4. सच मिट्टी से एक गहरा संबंध है मानव का आखिर एक दिन इस शरीर को भी मिट्टी में ही लीन हो जाना है और शायद इसलिए मिट्टी हमारी माँ है और माँ से पवित्र इस दुनिया में और कोई नहीं..... बहुत ही सुंदर रचना ....पंकज जी आभार ...

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  5. सुंदर भाव।
    शीर्षक..मिट्टी और माँ। 'और' लगाने से मिट्टी अलग, माँ अलग का भाव नहीं आया? 'मिट्टी' ही लिखा जाय या फिर केवल 'माँ'...?

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  6. माँ से पवित्र ब्रह्माण्ड में कोई नहीं है !! and I love my Maa a lot...!

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  7. बेहतरीन प्रस्तुति.....

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  8. बहुत सुन्दर व्याख्या की है।

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