औरों पर हँसना आसान है
खुद पर हँसना कठिन ...
कुछ ऐसा कठिन करके देखो
फिर ज़िन्दगी को जानो ...
रश्मि प्रभा
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औरों पर आरोप लगाना ,
कितना सहज सरल होता है
बात निराली तो तब होगी ,
जब कोई कठिन काम
खुद करके खुद को देखो ...
अपने अंतस में तुम झांको ,
और खँगालो उन पन्नों को
जहाँ लिखे हैं द्वेष द्वन्द
और न जाने क्या क्या ....
मन से उन्हें विलग कर देखो
,विश्वासों के भाव जगा कर ,
जीवन निश्छल सा कर देखो
ये जीवन जितना दुष्कर है ,
उतना ही ये सहज सरल है
बस लेकर पतवार प्रेम की ,
सागर पार उतर कर देखो
चाह नही है ताजमहल की ,
दुनियाँ की परवाह नहीं है
बस मेरे दिल के आँगन में
अपना महल बना कर देखो
अपने दुःख मैं सबकी आँखे ,
बन जाती सैलाब नदी का
एक बार , बस एक बार , तुम
दुःख औरों का सुन कर देखो
अधरों पर मुस्कान खिले ,और
झरने लगें खुशी के मोती ,
झूम उठे '' ममता '' की लहरें
ऐसी एक पहल कर देखो
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ममता बाजपई

16 comments:

  1. कुछ ऐसा कठिन करके देखो
    फिर ज़िन्दगी को जानो ...
    han.....tabhi to poori tarah jan payenge....

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  2. ममता जी ,
    आपने एक महत्वपूर्ण बात बहुत ही सरल शब्दों मे कह दी है। वाह! सुन्दर अभिव्यक्ति!

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  3. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

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  4. बात निराली तो तब होगी ,
    जब कोई कठिन काम
    खुद करके खुद को देखो ...
    अपने अंतस में तुम झांको ,
    और खँगालो उन पन्नों को
    जहाँ लिखे हैं द्वेष द्वन्द
    और न जाने क्या क्या ....
    मन से उन्हें विलग कर देखो--

    एकदम सत्य!

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  5. satik rachna....

    विश्वासों के भाव जगा कर ,
    जीवन निश्छल सा कर देखो
    ये जीवन जितना दुष्कर है ,
    उतना ही ये सहज सरल है...........sahi kaha....vishwas tho rakhna hi hoga ye hi jeevan hai ....aabhar

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  6. वाह,जीवन की हकीकत
    बहुत सुंदर

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  7. सुन्दर अभिव्यक्ति!

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  8. ये जीवन जितना दुष्कर है ,
    उतना ही ये सहज सरल है
    बस लेकर पतवार प्रेम की ,
    सागर पार उतर कर देखो

    waah....sarthak rachna.

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  9. अच्छी रचना ... प्रेरक और आह्वान युक्त

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  10. rahshmi di
    bhad hi umda lagi aadarniya mamta ji ki ye rachna.
    har shabd jaise chhan kar tarashe gaye hon.
    jivan ki amuly avam sateek prastuti
    बस लेकर पतवार प्रेम की ,
    सागर पार उतर कर देखो
    चाह नही है ताजमहल की ,
    दुनियाँ की परवाह नहीं है
    बस मेरे दिल के आँगन में
    अपना महल बना कर देखो
    अपने दुःख मैं सबकी आँखे ,
    बन जाती सैलाब नदी का
    एक बार , बस एक बार , तुम
    दुःख औरों का सुन कर देखो
    अधरों पर मुस्कान खिले ,और
    झरने लगें खुशी के मोती
    bahut hi gahan chintan
    hardik abhinandan ke saath
    poonam

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  11. खुबसूरत रचना...लाजवाब।

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