अजनबी बनाने की कोशिश
करता रहा समय
वो अकेला योद्धा
लड़ता रहा समय से ...

समय हारता नहीं है
सुना था उसने
फिर भी लड़ता रहा

ना होने दिया उसको अजनबी उसने
एक क्षण भी ना दिया समय को ...

मौका मिला नहीं समय को
अपने ज़हन को ऐसा बनाया
कि सारी इन्द्रियों में
जैसे ताला
समय थक गया
हार गया...

प्यार के आगे समय ने भी घुटने टेंक ही दिये...


भरत तिवारी
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ईमेल : mail@bharttiwari.com
दूरभाष : 011-26012386
अपने बारे में : माँ मेरी हिन्दी की अध्यापिका थीं और उनका साहित्य से लगाव काफी प्रभाव डाल गया बचपन से ही अमृता प्रीतम , महादेवी वर्मा , कबीर और साथ ही जगजीत सिंह के गायन ने निदा फाज़ली, ग़ालिब की ओर मोड़ा शायद वहीँ से चिंतन की उत्पत्ति हुई जो अब मेरे लेखन का रूप लेती है 

7 comments:

  1. प्यार के आगे समय ने भी घुटने टेंक ही दिये...
    प्यार .. प्यार है समय से भा आगे

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति, बधाई स्वीकारें /

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  3. प्यार के आगे समय ने भी घुटने टेंक ही दिये...

    bahut achchi lagi......

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  4. सुन्दर प्रस्तुति, बधाई

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  5. बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  6. प्यार के आगे समय भी घुटने टेक देता है ...

    भावपूर्ण!

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