मन तो चिड़िया है
पंख खोले उड़ान भरता जाता है
चोच में भावनाओं के दाने लिए
घोसले में उतरता है
और तिनकों पर लिखता है - कविता


रश्मि प्रभा

=======================================================================

बहुत दिनों बाद मन है-
चलो लिख डालें एक कविता.
चलो लिख कर देखें
ढेर सारे सपने
सजाता है जिन्हें रोज मन
नींद आने के बस तुरंत बाद..
चलो पिरो दे पंक्तियों में
उन सारी पीडाओं को
व्यथाओं को
जो मन पर बोझ बन कर रहती हैं
और आत्मा जिन्हें न चाहते हुए भी सहती है...
चलो शब्द दे दें
भगवान से अपनी शिकायतों को...
चलो कह दें जग से
वो शिकवे
जो हैं हथेली की रेखाओं से...
चलो रचें वो सारे वाक्य
सुनना चाहते है जिन्हें कान
देखना चाहती है जिन्हें आँखे
अपने आगे सच होते हुए...
चलो उठाओ कलम और लिख डालो
या
रखो उँगलियाँ की-बोर्ड पर
और
छाप डालो वो सब कुछ
जो असल जिन्दगी में न सही
मगर कविता में तो जरूर हो सकता है सच.
My Photo






मीनू खरे

12 comments:

  1. असल जिंदगी से ही तो उपजती है कविता.. और कविता से असल यहाँ और कुछ है भी कहाँ ! सुंदर कविता!

    ReplyDelete
  2. मीनू जी की कविता और आपकी क्षणिका दोनों बेहतरीन है ! बहुत अच्छा लगा चिड़िया से तुलना ...

    तीन क्षणिकाएं ... विभीषण !

    ReplyDelete
  3. छाप डालो वो सब कुछ
    जो असल जिन्दगी में न सही
    मगर कविता में तो जरूर हो सकता है सच.

    बिलकुल...यहाँ पर तो भावनाओं पर कोई बंदिश नहीं होती...बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
  4. छाप डालो वो सब कुछ
    जो असल जिन्दगी में न सही
    मगर कविता में तो जरूर हो सकता है सच.
    बिलकुल सच कहा आपने मन की उमंगों और भावों को तो हम अपनी रचना मैं डालकर अपनी इच्छाओं को पूरा कर ही सकतें हैं .बहुत ही जीवंत और सार्थक रचना बहुत बधाई आपको /
    मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है /जरुर पधारें /


    www.prernaargal.blogspot.com

    ReplyDelete
  5. सच, बहुत अच्छी कविता...
    मैं भी कोशिश करता हूँ...एक कविता की. चलता हु दाने बीनने.....

    ReplyDelete
  6. बहुत खूबसूरत रचना ..

    ReplyDelete
  7. Meenu Khare Ji ko bahut-bahut badhai.. Bahut hi acchhi rachna...

    ReplyDelete
  8. ख्वाब ही सही , कविताओं में उतारो इन्हें ..
    सुन्दर!

    ReplyDelete
  9. छाप डालो वो सब कुछ
    जो असल जिन्दगी में न सही
    मगर कविता में तो जरूर हो सकता है सच

    sahi likha aapne bahut achchhaa

    ReplyDelete
  10. अरे आप कैसे चुपके चुपके इतने नेक काम कर जाती हैं रश्मि जी!मेरी कविता को अपने ब्लॉग पर जगह देने के लिए मन की गहराइयों से धन्यवाद और अशेष शुभकामनाएँ.

    रवीन्द्र जी की pustak के लिए बधाई.

    ReplyDelete

 
Top