सफ़र जब शुरू होता है
सूरज अपनी मुट्ठी में होता है
जब हथेलियाँ पसीजने लगती हैं
तब कई एहसास साथ हो लेते हैं ....




रश्मि प्रभा


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लम्हों का सफर

शुरू हुआ सफर गुनती हुई सी यादों संग

सहलाती नरम सुबह के साथ .....

बरसों बरस बाद मिलन के सुख जैसा !

मन को खंगालता हुआ सा दिन

बीते दिनों की चिपकी धूल और गर्द को

बुहारता

साफ करता हुआ सा.....!

जहाँ जाकर कुछ लम्हे

हमेशा के लिए अमर हो जाते है.......

कुछ वैसा वैसा ही !

इन्तजार के दिनों को जीना

आसां नहीं ...समझ आता है !

सबकुछ अचानक ही लुटता हुआ सा महसूस होता है

.और तब पकड़ कर यादों की चादर का एक कोना

अकेले जा बैठना ...

हिचकियाँ भर भर कर रोना ...

और बस रोना सा ही रह जाता है ...

हथेलियों पर सब कुछ कह जाता सा

स्पर्श तुम्हारा

देखो कैसे ....

दिल का हर दर्द

आसुओं से धुलता जाता है

विभा    

14 comments:

  1. सुन्दर अभिव्यक्ति...

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  2. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।

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  3. वहा बहुत ख़ूब.... हमेशा की तरह अहसासों को समेटती हुई भावपूर्ण सुंदर अभिवक्ती...

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  4. सुन्दर अहसासों को सहेजती समेटती एक कोमल सी प्रस्तुति

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  5. कोमल भावों की कविता

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  6. हथेलियों पर सब कुछ कह जाता सा
    स्पर्श तुम्हारा

    वाह, क्या बात है ... बहुत सुन्दर पंक्तियाँ !

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  7. बढ़िया अभिव्यक्ति...
    सादर बधाई...

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  8. धन्यवाद रश्मि जी ..

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