भूलभुलैया में उलझकर सच्चे मोती नहीं मिलते
आशंकाओं में ज़िन्दगी के हल नहीं मिलते
संभावनाओं के आकाश में शक के बादल
आखिर क्यूँ !
एक दिन तो चले ही जाना है ...............
रश्मि प्रभा 



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आभासी दुनियाँ


एक ऐसी दुनियाँ
जहाँ
न कोई राजा न कोई रानी
न कोई मंत्री न कोई सैनिक
सभी मालिक
सभी प्रजा
न कोई भूखा न कोई नंगा
सभी मानते
मन चंगा तो कठौती में गंगा ।

एक से बढ़कर एक विद्वान
कुछ बड़े
कुछ औसत दर्जे के....
कवि, कहानीकार, पत्रकार, चित्रकार, व्यंग्यकार
कुछ अलग ढंग के फनकार
और कुछ
फनहीन चमत्कार
भौचक करती है जिनकी
औचक फुफकार !

क्या करना है
किसी की निजी जिंदगी में झांककर !
सब कुछ दिखाने वाला चश्मा क्या अच्छा होता है ?

वहाँ देखो !
वह
कितनी अच्छी
कितनी सच्ची बातें करता है
यूँ लगता है
विक्रमादित्य की कुर्सी पर बैठा है !

नहीं नहीं
शक मत करो
मान लो
वह वैसा ही है
जैसा कहता है

अरे याऱ….
एक दुनियाँ तो छोड़ो
चैन से जीने के लिए !

अच्छा लिखने
अच्छा पढ़ते रहने में
अच्छे हो जाने की
प्रबल संभावनाएँ छुपी होती हैं

चार दिनों की तो बात है
फिर आभासी क्या
छूट जानी है
वास्तविक दुनियाँ भी
एक दिन
होना ही है हमें
स्वर्गवासी ।

My Photo................................



जड़-चेतन में अभिव्यक्त हो रही अभिव्यक्ति को समझने के प्रयास और उस प्रयास को अपने चश्में से देखकर आंदोलित हुए मन की पीड़ा को खुद से ही कहते रहने का स्वभाव जिसे आप "बेचैन आत्मा" कह सकते हैं।
http://devendra-bechainaatma.blogspot.com/

20 comments:

  1. अच्छा लिखने
    अच्छा पढ़ते रहने में
    अच्छे हो जाने की
    प्रबल संभावनाएँ छुपी होती हैं ...।


    बहुत ही सशक्‍त अभिव्‍यक्ति ...इस बेहतरीन प्रस्‍तुति के लिये आपका आभार ।

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  2. waah rashmi ji
    aur
    devendr ji

    और कुछ
    फनहीन चमत्कार
    भौचक करती है जिनकी
    औचक फुफकाr

    kya bat hai! ye fanheen chamatkar jaisa shabd jaan hai kavita ki
    zabardast
    badhai donon rachnakaron ko
    rachna ke liye bhi
    aur
    BHARAT KI ZABARDAST JEET KE LIYE BHI

    ReplyDelete
  3. rashmi di
    aapki xhanika ek alag duniya me hi le jaati hai .
    bahut hisarthak abhivykti aur sir devendra ji ki rach na bhi lajwaab lagi .
    bahut hi behatreen .dono hi posto ke liye aapko hardik badhai.
    poonam

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  4. अच्छा लिखने
    अच्छा पढ़ते रहने में
    अच्छे हो जाने की
    प्रबल संभावनाएँ छुपी होती हैं ...।

    शानदार अवलोकन!! देवेन्द्र जी को बधाई

    रश्मि जी का आभार इस प्रस्तुति के लिए।

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  5. संभावनाओं के आकाश में शक के बादल
    आखिर क्यूँ !

    सही प्रश्न है ..

    अरे याऱ….
    एक दुनियाँ तो छोड़ो
    चैन से जीने के लिए !

    अच्छा लिखने
    अच्छा पढ़ते रहने में
    अच्छे हो जाने की
    प्रबल संभावनाएँ छुपी होती हैं

    सटीक बात ...अच्छी प्रस्तुति

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  6. "एक ऐसी दुनियाँ
    जहाँ
    न कोई राजा न कोई रानी
    न कोई मंत्री न कोई सैनिक
    सभी मालिक
    सभी प्रजा
    न कोई भूखा न कोई नंगा
    सभी मानते
    मन चंगा तो कठौती में गंगा ।"
    Devendra pandey jee behtareen prastuti.badhai.

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  7. संभावनाओं के आकाश में शक के बादल
    आखिर क्यूँ !
    एक दिन तो चले ही जाना है .........

    बहुत सार्थक और गहन सत्य...

    नहीं नहीं
    शक मत करो
    मान लो
    वह वैसा ही है
    जैसा कहता है

    अरे याऱ….
    एक दुनियाँ तो छोड़ो
    चैन से जीने के लिए !

    बहुत भावपूर्ण और सशक्त प्रस्तुति....बधाई !

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  8. आद. रश्मि जी,
    देवेन्द्र जी की भाव पूर्ण कविता को पाठकों तक पहुंचाने के लिए आभार !

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  9. पाण्डेय जी की रचना बहुत सुन्दर और भावपूर्ण है ...
    और आपकी ये दो पंक्तियाँ भी सार्थक है
    भूलभुलैया में उलझकर सच्चे मोती नहीं मिलते
    आशंकाओं में ज़िन्दगी के हल नहीं मिलते

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  10. ये अच्छी रचना है...

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  11. हाँ सही कहा आपने इस आभासी दुनिया में सबकुछ सीखा जा सकता है..तय आपको करना है की आप क्या सीखना चाहते हैं.....?

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  12. मेरी लड़ाई Corruption के खिलाफ है आपके साथ के बिना अधूरी है आप सभी मेरे ब्लॉग को follow करके और follow कराके मेरी मिम्मत बढ़ाये, और मेरा साथ दे ..

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  13. बहुत सुन्दर लिखा है आभासी दुनिया पर ... देवेन्द्र जी ने...
    रश्मि जी आपने भी चंद पंक्तियों में काफी कुछ कह दिया ... बेहद सुन्दर मेसेज दिया
    कल आपकी यह पोस्ट चर्चामंच पर होगी... आप वह आ कर अपने विचारों से अनुग्रहित करियेगा ... सादर
    चर्चामंच
    मेरे ब्लॉग में भी आपका स्वागत है - अमृतरस ब्लॉग

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  14. कविता में आपकी शब्दांजलि देखकर
    यूँ लगा
    कि खण्डहर में जल रहे अकेले दीपक को
    थाली में सजाकर
    वट वृक्ष के नीचे रख दिया है किसी ने
    जहाँ उसे
    वटवृक्ष की परिक्रमा
    के लिए आने वाले सभी भक्तों का
    भरपूर आशीर्वाद मिल रहा है।
    ...सभी का तहे दिल से आभारी हूँ।

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  15. चार दिनों की तो बात है
    फिर आभासी क्या
    छूट जानी है
    वास्तविक दुनियाँ भी
    एक दिन
    होना ही है हमें
    स्वर्गवासी ।
    ..
    ..
    सारी कविता का, और कविता ही क्यों कविता के सारे दर्शन का सार तो यही है रश्मि जी
    आप को नमन !

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  16. आभासी और वास्तविकता का सटीक चित्रण किया है।

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  17. आभासी और वास्तविकता का सटीक चित्रण किया है।

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  18. आभासी और वास्तविकता का सटीक चित्रण किया है।

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