जब वह पास थी
तो मेरी हथेलियों में उसकी नर्म उंगलियाँ थीं
अब जीवन की उड़ान में
जब कभी वह हवाओं से बातें कर रही होती है
मैं घबरा जाता हूँ
पर अगले ही पल जब वह मुझे समझाती है
तो मैं उसके जैसा बनकर मान जाता हूँ
बेटी जो है मेरी !



रश्मि प्रभा


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वो निरंतर ऐसा ही करती,मेरा फ़ोन नहीं उठाती

वो निरंतर
ऐसा ही करती
मेरा फ़ोन नहीं उठाती
बार बार रीडायल करते करते
ऊँगलियाँ थकतीं
मन में घबराहट होती
चेहरे पर चिंता की लकीरें
साफ़ दिखती
ईश्वर को याद करता रहता
वो ठीक से हो, प्रार्थना करता
ध्यान कहीं और लगाने की
कोशिश करता
मगर ऐसा ना होता
बार बार निगाहें घड़ी को देखती
बेचैनी बढ़ती जाती
अजीब अजीब आशंकाएं
दिमाग में आती
किसी मिलने वाले का
नंबर ढूंढता
उसे फ़ोन मिलाता शायद
उसे कुछ पता हो
वहाँ भी निराश होना पड़ता
कमरे में इधर उधर घूमता
क्रोध भी आने लगता
क्यों कहना नहीं मानती
कितनी बार समझाया
घंटे दो घंटे में फ़ोन किया करो
अपनी खैरियत बताया करो
इस बार फिर
डांट लगाऊंगा
फिर ऐसा नहीं करे
वादा करवाऊंगा
मन बहुत परेशान होता
अपने को असहाय पाता
हनुमान चालीसा का पाठ
करना शुरू करता
तभी फ़ोन की घंटी बजती
बिटिया की आवाज़ आती
पापा आई ऍम सौरी
फ़ोन साईलेंस मोड पर था
आपके फ़ोन का पता ना चला
मेरी सांस में सांस आती
आँखें नम हो जाती
दिल में खुशी की
अजीब सी अनुभूति होती
बिटिया से बात करके
सारी दुनिया भली लगती ...
मेरा फोटो

डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर

पेशे से,दन्त चिकित्सक,समाज और व्यक्तियों मै व्याप्त दोहरेपन ने हमेशा से कचोटा है, अपने विचारों,अनुभवों और जीवन को करीब से देखने से उत्पन्न मिश्रण को,कलम द्वारा कागज़ पर उकेरने का प्रयास कर रहा हूँ. अभिव्यक्ति और भावनाओं की यात्रा पर निकल पडा हूँ.

13 comments:

  1. यह वाकया तो मेरे साथ भी हज़ारों बार हुआ है ...कितनी बेचैनी हो जाती है जब बेटी फोन नहीं उठाती ..बहुत अच्छी तरह से अनुभव है ...एक एक शब्द जैसे अनुभव से हो कर गुज़ारा है ...

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  2. हम सब गुजरते हैं ऐसी ही अनुभूतियों से ...
    मन गीला हो गया इसे पढ़ कर !

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  3. मेरी सांस में सांस आती
    आँखें नम हो जाती
    दिल में खुशी की
    अजीब सी अनुभूति होती
    बिटिया से बात करके
    सारी दुनिया भली लगती ...

    अक्षरश: सत्‍य ... दिल को छूती पंक्तियों के साथ भावमय करते शब्‍द
    ...इस बेहतरीन प्रस्‍तुति के लिये आभार ।।

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  4. emotional abhivyakti... yeh bhi pyaar ka hi ek roop hai n...!

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  5. बिटिया से बात करके
    सारी दुनिया भली लगती ...

    Rajendr ji ko badhaii..

    .

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  6. आज का एक आम अहसास जो बच्चों के प्रति मां और पिता के चिंताओं को उजागर करता है.दिल के करीब,काफी करीब रचना.

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  7. बिल्कुल सही लिखा है, हर माँ बाप का दिल ऐसा ही होता है कि बेटी को देर हुई नहीं और दिमाग कहाँ कहाँ भटकने लगता है. मुझे तो लगता है कि ये हम सब कि ही व्यथा है. तब लगता है कि ये साइलेंस मोड रखा ही क्यों गया है?

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  8. har beti ke mata -pita ki ye aam chinta hai jise bahut khoobsurat shbdon me ukera hai aapne....

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  9. मेरी सांस में सांस आती
    आँखें नम हो जाती
    दिल में खुशी की
    अजीब सी अनुभूति होती
    बिटिया से बात करके
    सारी दुनिया भली लगती

    बिटिया को समर्पित यह कविता बहुत अच्छी लगी।

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  10. Kavita acchi hai....Beti ki chinta har kisi ko hoti hai...Jayaj bhi hai.......lekin kya sanchar kranti ne hame "jyada lachar...jyada ashant...jyada vyagra" nahi kar diya hai

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  11. एक पिता की चिन्ता को बखूबी उकेरा है।

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