मुखौटे के भीतर से कैसी धुन आएगी
कौन जानता है !!!

रश्मि प्रभा







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दोहरे चेहरे-- लघु कथा --

 

आज जोशी जी अपने लडके के लिये लडकी देखने जा रहे थे। वो उच्च पद से रिटायर्ड व्यक्ति थे एक ही बेटा था इस लिये चाहते थे कि शादी धूम धाम से हो। उच्च पद पर रहने से शहर मे उनकी मान प्रतिष्ठा थी। कई संस्थायें उन्हें अपने समारोह मे बुलाती जहाँ कई बार उन्हें समाज मे पनप रही बुराईओं पर वक्तव्य भी देने पडते। इस लिये लोग उन्हें समाज सुधारक भी मानते थे।


लडकी के घर पहुँचे। लडके लडकी मे बात चीत हुयी और दोनो ने एक दूसरे को पसंद कर लिया। लडकी के पिता को अन्दर से ये डर खाये जा रहा था कि पिछली बार की तरह इस बार भी दहेज पर आ कर बात न्न अटक जाये। पिछली बार लडके ने कार की माँग रख दी थी। उन्होंने अपना शक मिटाने के लिये जोशी जी से पूछा- " जोशी जी , अब आगे की बात भी हो जाये।यूँ तो हर माँ बाप अपनी बेटी को कुछ न कुछ दे कर ही विदा करता है, फिर भी अगर आपकी कोई डिंमाँड हो तो हमे निस्संकोच बता दें ।"


" शर्मा जी आपको पता है हमारे घर मे भगवान का दिया सब कुछ है अगर फिर भी आप इतना आग्रह कर रहे हैं तो बता देना चाहता हूँ कि हमे कुछ नही चाहिये, आप कन्यादान स्वरूप इन दोनो के नाम एक ज्वाँइट एकाउँट खुलवा कर उसमे राशी जमा करवा दें"
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निर्मला कपिला
http://veerbahuti.blogspot.com/

11 comments:

  1. बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  2. समाज का दोहरा चेहरा दर्शाती लघु कथा ... बेहतरीन प्रस्तुति ...

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  3. शंका समधान और आग्रह का दोहरा चेहरा!!
    निर्मलाजी को बधाई!! रश्मि जी, शानदार प्रस्तुति

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  4. सुंदर सन्देश देती बढ़िया प्रस्तुती. शायद सच्चाई अभी भी यही है.

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  5. बहुत बढ़िया लघु कथा.

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  6. दोहरा एवं कुरूप चेहरा...
    न जाने ये दहेज़ किस-किस चेहरे में, किस-किस रूप में हमारे समाज को निगलता रहेगा...

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  7. ye dohra charitra to har kadam par najar aata hai !
    achhi prastuti !

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