मेरे दिल के ख्वाबगाह में
गुनगुनाता है एक ग़ज़ल कोई
जो तुम्हारी शक्ल लेता है !
मेरी तूलिका ने बाँधा है इन लम्हों को
आज तुमने मुझे
शायराना ख्यालों की वसीयत दी है....

रश्मि प्रभा




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मेरे हिस्से का सूरज ...

तुमसे मिलना ,
एक अजीब इतफाक था
अँधेरे मे गूम होते
मेरे अस्तित्व
को एक सूरज तुमने दिया था
जिसकी रौशनी मे
मैंने खुद को जाना
जीवन ख़तम नहीं हुआ
इस बात को भी पहचाना
अजीब मंज़र था वो भी
अपना हाल
किसी को भी न सुनाने वाली लड़की
एक अजनबी के सामने
तार तार होके बिखर गयी थी
तुमने बहुत ख़ामोशी
से सबकुछ सुना था
तुम्हरी मदद से
मैंने वापस जिंदगी का
ताना बाना बुना था
तुम्हारा संतावना देता स्पर्श
आज भी महसूस करती हूँ
आज भी जब भी अँधेरा होता है
वो सूरज रोशन करता है जीवन
जो तुमने मुझे दिया था
तब मैंने जाना था
एक पुरुष और स्त्री
का सम्बन्ध
ऐसा भी हो सकता है
अगर इसे नाम देना
जरुरी हो तो
कह सकती हूँ
तुम हो
मेरे हिस्से का सूरज .

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मंजुला
बहुत साधारण हूँ चीजों को पेचीदा बनाना मुझे पसंद नहीं , कोशिस करती हूँ किसी को मेरे वजह से दुःख न पहुचे...!

21 comments:

  1. bahut achchhi lagi kavitaa
    badhaaii shubh kaamnaa

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  2. कभी कभी अनाम रिश्ते जीने का सबब बन जाते हैं…………भावो का सुन्दर चित्रण्।

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  3. aapke hisse ka surj thodaa hmen bhi chahiye roshni ke liyen . akhtar khan akela kota rajsthan

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  4. अपना एक सूरज तलाश लेना बहुत कम को ही नसीब हो पाता है।
    कविता के कथ्य और शिल्प में मौलिकता अच्छी लगी।

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  5. अगर इसे नाम देना
    जरुरी हो तो
    कह सकती हूँ
    तुम हो
    मेरे हिस्से का सूरज...

    बहुत सुन्दर !

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  6. मेरे दिल के ख्वाबगाह में
    गुनगुनाता है एक ग़ज़ल कोई
    जो तुम्हारी शक्ल लेता है !
    kitna achcha likhti hain aap....

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  7. अगर इसे नाम देना
    जरुरी हो तो
    कह सकती हूँ
    तुम हो
    मेरे हिस्से का सूरज .
    ekdam dil ke kareeb hai aapki kavita.

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  8. bahut hi sundar...dil me utar gai yah rachna....

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  9. सरल शब्दों में सुन्दर भाव लिए कविता |बधाई |
    आशा

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  10. सुनने वाले कम ही मिलते हैं । सही कहा आपने वो सूरज होते हैं । बहुत ही अच्छी बातें ,आपकी इस रचना में !

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  11. बहुत ही सुन्‍दर शब्‍द रचना ।

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  12. एक-एक शब्द भावपूर्ण ..... बहुत सुन्दर...

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  13. अगर इसे नाम देना
    जरुरी हो तो
    कह सकती हूँ
    तुम हो
    मेरे हिस्से का सूरज .

    वाह ! ये पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगी !

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  14. आदरनिये रश्मि प्रभा जी ,
    कार्यालीन कार्यो के वजह से बहुत व्यस्त थी इसलिए ब्लॉग्गिंग लगभग बंद सी थी पढना व लिखना दोनों ही नहीं हो प् रहा था , इस समय आपका मेरी कविता को प्रकाशित करना मुझे बहुत सुखद लगा आपका बहुत धन्यवाद .

    मंजुला

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  15. सभी टिपण्णी करने वाले आदरनिये जनों का धन्यवाद , और अच्छा लिख सकू ये कोशिश करुगी .सारे कमेन्ट मेरे लिए बहुत उपयोगी है दिल से ये बात कहती हूँ .

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  16. सही नाम दिया है। अच्छी रचना के लिये साधुवाद।

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  17. स्त्री-पुरुष संबंधों को एक खूबसूरत नाम देने का सफल प्रयास ....बहुत ही अच्छी और खुली हुयी रचना.....

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  18. bahut hi sunder rachna hai stri purush ke sambandho ko darshati

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  19. तुम्हारा संतावना देता स्पर्श
    आज भी महसूस करती हूँ
    आज भी जब भी अँधेरा होता है
    वो सूरज रोशन करता है जीवन
    जो तुमने मुझे दिया था..

    बहुत भावपूर्ण सुन्दर रचना...बहुत सुन्दर शब्द चित्र उकेरा है..

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  20. बहुत ही प्यारी कविता....

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  21. बहुत खूब मंजुला जी ! इतने प्यारे अहसास और कोमल भावनायें पिरोई हैं आपने रचना में कि मन विभोर हो गया ! बहुत ही अच्छी लगी आपकी यह रचना ! बधाई स्वीकार करें !

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