इसलिए लिखो कविता
ताकि पढ़ सको तुम खुद को
कतरे कतरे में टूटते बहते मन को जोड़ सको
बाँध सको
जान सको कहाँ है क्षितिज ,कहाँ है भ्रम कहाँ है उड़ान
जी सको अपने उद्वेलित पलों को ...
ढूंढ़ सको एक व्योम अपने लिए
हाँ लिखो कविता सिर्फ अपने लिए ...



रश्मि प्रभा


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बाज़ार

क्यूं लिखूं कविता?
ताकि
उधेड़ दिया जाए
और कतरा-कतरा
बिखेर दिया जाए
शुष्क हवाओं में
और सूरज की
तपिश भस्म कर दे
उन विचारों को
उन संवेदनाओं को
जो मेरे जिस्म में
सिंचे हैं
क्यूं लिखूं कविता?
जबकि पता है
बिकाऊ होते जा रहे
अहसासों के बाज़ार में
बिकेगी लिफ़ाफ़ा-दर-लिफ़ाफ़ा
या
पड़ी होगी किसी कबाड़ी की दुकान पर
फिर से री-साइकिल होकर
बिकने के लिए
ताकि लिखी जाए
फिर नई कविता
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18 comments:

  1. जान सको कहाँ है क्षितिज ,कहाँ है भ्रम कहाँ है उड़ान
    जी सको अपने उद्वेलित पलों को ...
    ढूंढ़ सको एक व्योम अपने लिए
    हाँ लिखो कविता सिर्फ अपने लिए ...

    बहुत ही सुन्‍दर भावमय करते शब्‍दों के साथ बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  2. बहुत बढ़िया प्रस्तुति, आभार !

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  3. बिकाऊ होते जा रहे
    अहसासों के बाज़ार में
    बिकेगी लिफ़ाफ़ा-दर-लिफ़ाफ़ा
    या
    पड़ी होगी किसी कबाड़ी की दुकान पर
    विजय जी ने आज के साहित्य का हाल व लेखक की कशमकश को बहुत बखूबी रचना मे दिखाया है। इस शानदार सटीक अभिव्यक्ति के लिये उन्हें बधाई।

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  4. शानदार सटीक अभिव्यक्ति के लिये उन्हें बधाई।

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  5. ढूंढ़ सको एक व्योम अपने लिए
    हाँ लिखो कविता सिर्फ अपने लिए ...
    bahut prabhawpurn pangtiyan.....

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  6. क्यूं लिखूं कविता?
    jabab to rashmi jee ne de he diya hai....likha kariye...

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  7. बहुत ही सुन्‍दर भावमय प्रस्‍तुति ।

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  8. जी सको अपने उद्वेलित पलों को ...
    ढूंढ़ सको एक व्योम अपने लिए
    हाँ लिखो कविता सिर्फ अपने लिए .

    सच में अच्छी कविता स्वान्तःसुखाय ही लिखी जा सकती है..

    क्यूं लिखूं कविता?
    जबकि पता है
    बिकाऊ होते जा रहे
    अहसासों के बाज़ार में
    बिकेगी लिफ़ाफ़ा-दर-लिफ़ाफ़ा
    या
    पड़ी होगी किसी कबाड़ी की दुकान पर

    बहुत सुन्दर..मन की कशमकश को बहुत खूबसूरती से उकेरा है..

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  9. बहुत सुन्दर और सटीक भावाव्यक्ति।

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  10. सुन्दर रचना , विजय जी कों बधाई ।

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  11. दोनों ही कवितायें संवेदना को झकझोरती हैं !

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  12. • आपकी कविता जीवन के विरल दुख की तस्‍वीर है, इसमें समाई पीड़ा आम जन की दुख-तकलीफ है ।

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  13. दोनों ही जबरदस्त!! अद्भुत!!

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  14. बिकाऊ होते बाजार में किस तरह लिख जाए कविता ...
    ढूंढ सको अपने व्योम को इस लिए लिखो कविता ...

    लाजवाब !

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  15. aap sab ka bahut-2 abhaar. umeed karta hu aap sab ka aashirwaad or pyar mujhe hamesha milta rahega taki main aur aaccha likh saku.

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