बसंती बयार बहती तो है
पर बिना छुए गुम हो जाती है
एक जज्बा था विद्या की देवी
माँ सरस्वती के आने का
हुजूम था विद्यार्थियों का
रख जाते थे अपनी ख़ास पुस्तकें
माँ के चरणों में
अब तो एक हुजूम ठठा के हँसता है
तर्क की रोशनाई से इस सोच को मिटा जाता है !
....
पर बसंत उतरता तो है
क्योंकि लाख परिवर्तन की हवा बहे
वृक्ष अपना स्वभाव नहीं बदलते
बसंत के आते ही
उसके दुलार में अपना परिधान बदल लेते हैं
आँखों को ठंडक पहुंचाती प्रकृति
विश्वास दे जाती है---
'बसंत आ गया है ...'



रश्मि प्रभा

12 comments:

  1. लाख परिवर्तन की हवा बहे
    वृक्ष अपना स्वभाव नहीं बदलते
    बसंत के आते ही
    उसके दुलार में अपना परिधान बदल लेते हैं

    अक्षरश: सत्‍य कहा है इन पंक्तियों में आपने ..गहन भावों का संगम इस अभिव्‍यक्ति में ।

    ReplyDelete
  2. लाख परिवर्तन की हवा बहे
    वृक्ष अपना स्वभाव नहीं बदलते
    बसंत के आते ही
    उसके दुलार में अपना परिधान बदल लेते हैं


    बसंत आगमन की सुन्दर अभिव्यक्ति।

    ReplyDelete
  3. क्योंकि लाख परिवर्तन की हवा बहे
    वृक्ष अपना स्वभाव नहीं बदलते
    itne sunder vichar ko aapne shabd de diya...wah.bahot achchi lagi.

    ReplyDelete
  4. कुछ बातें चिरंतन होती है !

    ReplyDelete
  5. वृक्ष अपना स्वाभाव नहीं बदलते हैं ...प्रकृति भी अपना सन्देश बखूबी देती है ...

    ReplyDelete
  6. पर बसंत उतरता तो है
    क्योंकि लाख परिवर्तन की हवा बहे
    वृक्ष अपना स्वभाव नहीं बदलते
    बसंत के आते ही
    उसके दुलार में अपना परिधान बदल लेते हैं
    आँखों को ठंडक पहुंचाती प्रकृति
    विश्वास दे जाती है---
    'बसंत आ गया है ...'

    गहन अर्थों को समेटती एक खूबसूरत और भाव प्रवण रचना. आभार.
    आपको वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!
    सादर,
    डोरोथी.

    ReplyDelete
  7. पर बसंत उतरता तो है
    क्योंकि लाख परिवर्तन की हवा बहे
    वृक्ष अपना स्वभाव नहीं बदलते
    बसंत के आते ही
    उसके दुलार में अपना परिधान बदल लेते हैं
    आँखों को ठंडक पहुंचाती प्रकृति
    विश्वास दे जाती है---
    'बसंत आ गया है ...'
    ..sateek chintan ...basant par sundar chitran.. aapko basant panchmi kee bahut bahut haardik shubhkamna

    ReplyDelete
  8. माँ शारदे को नमन!
    बसन्तपञ्चमी की शुभकामनाएँ!

    ReplyDelete
  9. माँ सरस्वती को नमन........बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें

    ReplyDelete
  10. बसंत पंचमी की शुभ कामनाएं |भावपूर्ण रचना
    आशा

    ReplyDelete
  11. .

    क्योंकि लाख प्रशंसा की हवा बहे
    साधु अपना स्वभाव नहीं बदलते.

    प्रभादेवी के चरणों में मेरी एक ख़ास रचना :

    "आया बसंत पट हटा अरी!
    चख चहक रहे अब करो बरी.
    तुमने इनको क्यों कैद किया
    — है पूछ रही ऋतुराज परी."

    "क्यों दी इनको आजन्म कैद
    पिंजर खोलो, उल्लास भरो.
    त्राटक कर इनको रूप पुरा
    देना, नूतन उपचार करो."

    _______
    पट — पलक परदा
    पिंजर — नयन पिंजरा
    त्राटक — एकटक निहारना

    .

    ReplyDelete
  12. आँखों को ठंडक पहुंचाती प्रकृति
    विश्वास दे जाती है---
    'बसंत आ गया है ...'


    नयनों में भर गया नयनाभिराम सौंदर्य -
    निश्चय ही बसंत आ गया है .
    sunder rachna

    ReplyDelete

 
Top