कौन है
जो ब्रह्ममुहूर्त में
चिड़ियों को दाने देता है?
ये कौन है !



रश्मि प्रभा




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देखो न !
धड़कने बढ रही है ,
सांसे तेज हो रही है ,
ऑंखें बंद हो रही है ,
मै शिथिल पड़ रही हूँ !
ये कैसा डोर है
जो मुझ तक
तेरी हर आहट
को पहुंचा जाती है !
ये कौन सा बंधन है
मै तो मुर्ख हूँ
तू तो ज्ञानी है
मुझे समझा दो न ..!!!

My Photoसाधना

18 comments:

  1. गहन भावों का समावेश ...सुन्‍दर शब्‍द रचना ।

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  2. अभी अभी साधना जी के ब्लाग पर पढ कर्5 आयी हूँ। अच्छा लिखती हैं, बधाई उनको। धन्यवाद

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  3. यही डोर ही तो है जो बांधे रहती है ...गहन अभिव्यक्ति .

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  4. pranaam didi
    tahe dill se shukriya karti hun ..
    aapki lekhni ke samne to mai dudh-bhat hun ...phir bhi aapne meri lekh ko ..post kiye isase badi bat aaj mere liye kuchh bhi nahi ...aaj mai bahut khush hun ..or ye soch rahi hu ki mujhe bhi kuchh likhna aata hai kya ...??

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  5. बहुत सुन्दर भाव्।

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  6. कौन है
    जो ब्रह्ममुहूर्त में
    चिड़ियों को दाने देता है?
    ये कौन है !
    anupam.adweettye,adbhud.

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  7. तू तो ज्ञानी है
    मुझे समझा दो न ..!!!
    behad sunder likhi hain.

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  8. सुन्दर गहन अभिव्यक्ति.

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  9. दीदी की भूमिका और साधना जी की रचना में उस निर्गुण की उपस्थिति है.न जाने कौन चलाता है जीवन चक्र,बेहद सुंदर एवं जीवन के रहस्य से पगी रचना.

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  10. दोनों रचनाओं में गहन रहस्य छिपा है!

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  11. बहुत ही सुंदर रचना....दिल को छु गयी।

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  12. कम शब्दों में गहरे भाव .... बहुत खूबसूरत रचना ..

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  13. ये बंधन सबसे ख़ास है...
    ये सबसे प्यारा अहसास है...
    यही तो है, जिसके ज़रिये
    वो दूर होकर भी सबसे पास है...

    बहुत प्यारी रचना...

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  14. yah vahi anjana pyar ka hi bandhan hai jo dikhai to nahi deta par hai bahut sasakt .achchhi rachana

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  15. सुन्दर तरीके से भाव प्रकाश किया गया है ...

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