चाँद से दोस्ती हो
हथेली में चाँदनी भर जाये
सिरहाने सपना .... अब और क्या चाहिए !!!

रश्मि प्रभा



==============================================================
सपनों का साथ

एक् रात बादलो संग घूमते घूमते ,
कहीं दूर ... बहुत दूर
एक रौशनी नज़र आई ,
चाहा वहाँ जाऊँ ...
पर मन् घबराया,
अँधेरे में रहने की आदत जो थी !

किसी अनजानी शक्ति से खिंची पहुँच गयी ...
कुछ तारों को खेलते देखा
मेरा मन किया -
मैं भी खेलूं , झुमूं ,
बातें करूँ , कुछ सुनूँ ...
चाँद से पूछा
तेरी चाँदनी का हिस्सा बन जाऊँ ?
तेरे तारो संग खेलूं ?
ज्यादा नहीं -
बस कुछ लम्हें
तेरी रौशनी में जी लूँ ...

चाँद आगे बढा
मेरी बाहें गहीं
चांदनी के रथ में बिठाया
तारों से राहें सजाईं
और कई लम्हें सपनों के
मेरे सिरहाने रख गया !

अब अँधेरा होते सिरहाने से
मैं चाँद के दिए लम्हें निकालती हूँ
और सुबह होने तक
सपनों की दुनिया
मेरे साथ साथ चलती है ...




प्रीति महेता
http://ant-rang.blogspot.com

18 comments:

  1. sapno ki duniya mere sath chalti hai
    sunder rachna
    ...

    ReplyDelete
  2. जितनी सुन्दर सपनों की दुनिया उतनी ही मीठी अक्षरों की बुनावट !

    ReplyDelete
  3. अब अँधेरा होते सिरहाने से
    मैं चाँद के दिए लम्हें निकालती हूँ
    और सुबह होने तक
    सपनों की दुनिया
    मेरे साथ साथ चलती है ...

    बेहतरीन प्रस्‍तुति के लिये आभार ।

    ReplyDelete
  4. shuruaat rashmi prabhajee ki aur kavita pritee mehtajee ki laga aisa jaise sone men suhaga.

    ReplyDelete
  5. अब अँधेरा होते सिरहाने से
    मैं चाँद के दिए लम्हें निकालती हूँ
    और सुबह होने तक
    सपनों की दुनिया
    मेरे साथ साथ चलती है ...
    वाह,
    सुन्दर भावों में पगी हुई, खूबसूरत अहसास की खूबसूरत कविता !

    ReplyDelete
  6. वाह!क्या भाव भरे हैं……………एक दम तराशी हुयी रचना दिल छू गयी।

    ReplyDelete
  7. Preeti sapno ki khubsurat duniya me yun hi chahkte rahna...:)

    der aaye, durust aaye..hai na, bahut dino baat tumhari post dekhi...lekin ek baar me hi chhakka maar diya...:D

    keep it up preeti...fir se kuchh shabdo ko saja do apne blog pe..:)

    ReplyDelete
  8. सपनो की दुनिया सी प्यारी रचना.

    ReplyDelete
  9. beautiful thoughts...perfect ending ...
    bahot khoob....
    likhtey raho

    ReplyDelete
  10. Preeti ji sapno ki duniya wakai kamaal ki duniya hai..bahut kuchh paa lete hain kuchh na paane ke baad bhi.

    अब अँधेरा होते सिरहाने से
    मैं चाँद के दिए लम्हें निकालती हूँ
    और सुबह होने तक
    सपनों की दुनिया
    मेरे साथ साथ चलती है .aur apki ye rachna to bahut sunder hai..aur ye antim panktiyaan to kya kehne. bahut khoob.
    badhai aapko.

    ReplyDelete
  11. वाह... इतने सुन्दर तराशे हुए सपने...
    बहुत सुन्दर...

    ReplyDelete
  12. बहुत ही सुन्दर रचना रचना !

    ReplyDelete
  13. Tahe Dil Se Shukriya Aap sabhi ka...!

    ReplyDelete
  14. बहुत सुन्दर सपनों की दुनियाँ ...

    ReplyDelete
  15. कमाल है..कौन छोडेगा ऐसी सपनों की दुनियां..

    ReplyDelete

 
Top