यह दिल तो हमेशा कुछ कहता हैकभी जीवन,कभी रिश्ते,कभी ख्वाब...बुनता रहता है लम्हों को और एक दोस्त ढूंढता है जिससे दिल बयान कर सके,जो दिल के पार की बातें समझ सके,क्योंकि,दिल यूँ भी कुछ कहता है कहता जाता है....
रश्मि प्रभा



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मुक्तिदाता


एकांत पथ पर चला जा रहा था
हर तरफ
कोहरे का साम्राज्य,
एक दिन
पत्तों पर अपने ओसकण छोड़ कर
कोहरा हटा
और मुझे दिखी उस पथ की सुन्दरता
जिस पर मैं
अनमना सा चलता रहा था
दूर तक,
और उसी पथ पर
मेरे स्वागत में
मुस्कराते हुए खड़े थे
मेरे मुक्तिदाता!

नीलेश माथुर



मेरा परिचय-
नाम- नीलेश माथुर
पिता- श्री शंकर लाल माथुर
माता- बीना माथुर
पेशा- व्यवसाय
फोन न. 9957565244
पता- देवमती भवन,
रिहाबारी,गुवाहाटी- ७८१००८

12 comments:

  1. नीलेश जी को और रश्मि जी को बहुत बहुत बधाई|

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  2. बहुत बढ़िया नीलेश जी
    रश्मि जी आप के लिये क्या कहूं क्योंकि आप तो हर बार अच्छा ही लिखती हैं ,नीलेश जी की कविता में भी कुछ अलग सा भाव महसूस हुआ ,आप दोनों को बधाई

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  3. उम्दा भाव लिए अच्छी रचना।

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  4. और उसी पथ पर
    मेरे स्वागत में
    मुस्कराते हुए खड़े थे
    मेरे मुक्तिदाता!

    वाह, नीलेश जी,एक उत्तम कविता का सृजन किया है आपने।
    बधाई।

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  5. बहुत खूबसूरत रचना ...

    आपको और आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ

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  6. जो दिल के पार की बातें समझ सके ...प्रस्‍तु‍ति का यह अंदाज बेहतरीन ....।
    उसी पथ पर
    मेरे स्वागत में
    मुस्कराते हुए खड़े थे
    मेरे मुक्तिदाता!

    सुन्‍दर भावमय करते शब्‍द, इस रचना के लिये बधाई ।

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  7. बहुत प्यारी रचनाएँ...

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  8. उम्दा भाव लिए अच्छी रचना।

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  9. धन्यवाद रश्मि जी का जिन्होंने रचना को स्थान देने योग्य समझा, धन्यवाद आप सबका जिन्होंने सराहा!

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