लाखों के घर के इर्द - गिर्द
-जानलेवा बम लगे हैं !
बम को फटना है हर हाल में ,
परखचे किसके होंगे
-कौन जाने !
ओह !गला सूख रहा है .............
भय से या - पानी का स्रोत सूख चला है ?
सन्नाटा है रात का ?
या सारे रिश्ते भीड़ में गुम हो चले हैं ?
कौन देगा जवाब ?
कोई है ?
अरे कोई है


रश्मि प्रभा





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पतझड़........



मैंने देखा है उसको

रंग बदलते हुए....

हरे भरे पेड़ से लेकर,

एक खाली लकड़ी के ठूंठ तक.......

गए मौसम में ,मेरी नज़रों के सामने,

ये हरा-भरा पेड़-

बिलकुल सूखा हो गया....

होले-होले इसके सभी पत्ते,

इसका साथ छोड़ गए,

और आज ये खड़ा है

आसमान में मुंह उठाये-

जैसे की अपने हालत का कारन,

ऊपर वाले से पूछ रहा हो....!!!!


इसके ये हालत,

कुछ मुझसे ज्यादा बदतर नहीं हैं,

गए मौसम में,

मुझसे भी मेरे कुछ साथी,

इसके पत्तों की तरह छुट गए थे......

मैं भी आज इस ठूंठ के समान,

मुंह उठाये खड़ा हूँ आसमान की तरफ.....


आने वाले मौसम में शायद ये पेड़,

फिर से हरा भरा हो जाएगा.....

मगर न जाने मेरे लिए,

वो अगला मौसम कब आएगा.....

जाने कब....???

मानव मेहता

मेरे ब्लॉग :

सारांश -एक अंत मेरी शायरी

मानव मेहता

11 comments:

  1. इसके ये हालत,

    कुछ मुझसे ज्यादा बदतर नहीं हैं,

    गए मौसम में,

    मुझसे भी मेरे कुछ साथी,

    इसके पत्तों की तरह छुट गए थे......

    मैं भी आज इस ठूंठ के समान,

    मुंह उठाये खड़ा हूँ आसमान की तरफ.....
    बहुत ही सुन्‍दर भावमय करते शब्‍द,
    इस बेहतरीन प्रस्‍तुति के लिये आभार ।

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  2. सच कहा कुछ मौसम कभी लौट कर नही आते वहाँ पतझड हमेशा के लिये ठहर जाता है।

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  3. जिस तरह बहार चली गई पतझड़ भी चला जाएगा ,बहारें लौट आएंगी
    बस आशा की जोत जलए रखने की ज़रूरत है

    दोनों कविताएं बहुत सुंदर हैं ,मानव जी को पहली बार पढ़ा well done ,keep it up

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  4. kabhi kuch mausam chale jate hai or laut ke nhi aate
    khubsurat rachna

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  5. बेहतरीन प्रस्‍तुति
    shiva12877.blogspot.com

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  6. सुन्दर भाव से भरी सुन्दर रचना!मानव जी को बधाई!

    मेरे शब्द इस विषय में कुछ ऐसे मुखर हुये:
    कृपया नीचे दिये लिन्क को देखें:
    http://sachmein.blogspot.com/2009/09/blog-post.html

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  7. पिछली पतझड़ में सुख गया था जो हरा पौधा , उसकी याद अभी ताज़ा ही है की फिर से पतझड़ आ गया ...
    मौसम के बिम्बों की अच्छी कविता !

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  8. मौलिक बिम्बों के साथ बेहतरीन रचना ! जाने क्यों जितना आकर्षण वसन्त का होता है उससे कहीं अधिक आकर्षक मुझे पतझड़ लगता है ! बहुत खूबसूरत प्रस्तुति ! बधाई एवं आभार !

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  9. Rashmi ji
    bahut bahut shukriya meri rachna prakashit karne ke liye.....aur aap sabhi logon ka bahut aabhar pasand karne ke liye....

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