सच को देख
एथेंस का सत्यार्थी
अंधा हो गया ...
सच की भयानकता से
या उस विपरीत सत्य के साक्षात्कार से
जिसका एक कोमल खाका उसने खींच रखा था !
... आह !
पर एथेंस के सत्यार्थी की इस विडंबना ने
मुझे अपंग और अपाहिज नहीं किया
चेतनाशून्य मनोदशा की हर गहरी ख़ामोशी ने
मुझे केशव का विराट स्वरुप दिखाया
अहोभाग्य !
सत्य के आगे लड़खड़ाते मेरे क़दमों के आगे
कृष्ण ने हर बार मेरी ऊँगली थामी
और दुर्योधन से बचाया !!!


रश्मि प्रभा

16 comments:

  1. सत्य के आगे लड़खड़ाते मेरे क़दमों के आगे
    कृष्ण ने हर बार मेरी ऊँगली थामी ....



    बहुत खूब ...कहा है आपने इन पंक्तियों में
    भावमय करते शब्‍द ...बधाई इस बेहतरीन अभिव्‍यक्ति के लिये ।

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  2. चेतनाशून्य मनोदशा की हर गहरी ख़ामोशी ने
    मुझे केशव का विराट स्वरुप दिखाया
    अहोभाग्य !
    सत्य के आगे लड़खड़ाते मेरे क़दमों के आगे
    कृष्ण ने हर बार मेरी ऊँगली थामी
    और दुर्योधन से बचाया !!!
    बहुत सुन्दर और प्रेरक रचना बधाई आपको।

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  3. एक अलग फलक पर कविता अच्छी लगी..

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  4. आदरणीय रश्मि दी, आपकी रचनाओं में हर तरह के भावरंग खिलते हैं. भावों की ऐसी विविधता और प्रखरता बेहद कम देखने को मिलती है. नए-नए प्रयोत और बिम्ब वर्तमान कविता को अपने धरातल पर और अधिक पुष्ट करती हैं. आप सदा ऐसे ही लिखती रहें, ऐसी ही कामना करते हैं ताकि हमे भी हर बार नया पढ़ने को और सीखने को मिलता रहे. इस उत्कृष्ट रचना हेतु बधाई दीदी. आभार !!

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  5. वाह दीदी, क्या बात है ! बहुत सुन्दर तरीके से आपने ये बात कही है ...
    मन में विश्वास (इसे भगवान पर भक्ति कह लीजिए) हो तो सत्य के राह में अविचल रह सकते हैं ...

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  6. मुझे केशव का विराट स्वरुप दिखाया
    अहोभाग्य !
    सत्य के आगे लड़खड़ाते मेरे क़दमों के आगे
    कृष्ण ने हर बार मेरी ऊँगली थामी
    और दुर्योधन से बचाया !!!
    एक अलग सोच के साथ सुन्दर रचना।

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  7. बहुत सुन्दर ढंग से आपने अपने कहे को लफ़्ज़ों की अभिव्यक्ति दी है बेहतरीन

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  8. सुन्दर अभिव्यक्ति . कृष्ण तो हमेशा ही सत्य के साथ है .

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  9. अहोभाग्य !
    सत्य के आगे लड़खड़ाते मेरे क़दमों के आगे
    कृष्ण ने हर बार मेरी ऊँगली थामी
    और दुर्योधन से बचाया !!!

    सुन्दर अभिव्यक्ति

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  10. पर एथेंस के सत्यार्थी की इस विडंबना ने
    मुझे अपंग और अपाहिज नहीं किया
    चेतनाशून्य मनोदशा की हर गहरी ख़ामोशी ने
    मुझे केशव का विराट स्वरुप दिखाया
    अहोभाग्य !
    सत्य के आगे लड़खड़ाते मेरे क़दमों के आगे
    कृष्ण ने हर बार मेरी ऊँगली थामी
    और दुर्योधन से बचाया !!!


    सुन्दर अभिव्यक्ति

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  11. सत्य के आगे लड़खड़ाते मेरे क़दमों के आगे
    कृष्ण ने हर बार मेरी ऊँगली थामी
    और दुर्याेधन से बचाया !!!

    वाह, एक उत्कृष्ट कविता।
    ऐसी रचनाएं बरबस मन मोह लेती हैं।

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  12. हमारा सौभाग्य है कि हमारे पास कृष्ण का सत्य है ...वरना हमारी स्थिति भी उसी सत्यार्थी सी हुई होती .......सत्य भी सापेक्ष होता है यह तो उन्हें बहुत बाद में पता चला.

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  13. सत्य सत्य रहता है .लड़खड़ा सकता है गिर नहीं सकता ..फिर कृष्ण तो हैं ही ...

    गहन अभिव्यक्ति

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  14. कृष्ण तो मार्गदर्शक हैं ही!
    सुन्दर रचना!

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  15. कृष्ण ने अंगुली थामी...
    फिर और क्या चाहिए था !

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