एक चाह, सानिंध्य की चाह, विश्वास की चाह ... निरंतर , अविचल ! एहसास अपने होने का मन को



उद्वेलित करता है - कब तक ? आज से नहीं , सदियों से चलता प्रश्न ...

अब ठहरो,

अन्दर की साज-सज्जा बदलो,

धूल की परतों को झाडो,

करीने से संवार दो...

हाँ,इतनी जगह रखना,

कि, खुली हवा आ जा सके...


() रश्मि प्रभा



!! चिर-प्रतीक्षा !!

...................................


कब तक अवगुंठित रहूँ

जीवन या जीवन-क्षरण में?

मैंने तो न देर की प्रिय!

आपके शुभ संवरण में......

प्रेम वर्षा से प्रिय तुम

आज अंतस सिक्त कर दो,

संग रहना तुम सदा ही

प्रेम के इस आचरण में.......


मैंने तो न देर की प्रिय!

आपके शुभ संवरण में.....


रात्रि की निस्तब्धता में

तार मन के जुड गए

लौ लगी तुमसे रही प्रिय!

आत्म के निज जागरण में.......


मैंने तो न देर की प्रिय!

आपके शुभ संवरण में......


शून्य की अनुभूति पाऊँ

इतना तुम स्वछन्द कर दो,

हूँ चिर प्रतीक्षारत युगों से

देह के इस आवरण में........


मैंने तो न देर की प्रिय!

आपके शुभ संवरण में........


तेरा अलौकिक रूप देखूं

बंद आँखों से मनोहर

करबद्ध हूँ अब ले चलो

सानिध्य के वातावरण में........


मैंने तो न देर की प्रिय!

आपके शु संवरण में.......


() ज्योत्स्ना पाण्डेय
विकास नगर,लखनऊ।
http://jyotsnapandey.blogspot.com/

17 comments:

  1. बहुत खूबसूरत रचना ...शुभकामनायें

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  2. कोमल भावनायें,सुन्दर शब्द!

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  3. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति के प्रति मेरे भावों का समन्वय
    कल (13/9/2010) के चर्चा मंच पर देखियेगा
    और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा।
    http://charchamanch.blogspot.com

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  4. "शून्य की अनुभूति पाऊँ

    इतना तुम स्वछन्द कर दो,

    हूँ चिर प्रतीक्षारत युगों से

    देह के इस आवरण में........"
    man aur deh ke bimb me jiwan kee baat karti rachna achhi lagi!

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  5. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.............

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  6. खूबसूरत रचना ...शुभकामनायें

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  7. अलौकिक रूप देखूं

    बंद आँखों से मनोहर

    करबद्ध हूँ अब ले चलो

    सानिध्य के वातावरण में........


    भावमयी प्रस्तुति

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  8. बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति.............

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  9. milan ki dharyapoorn pratikchha aur adbhut samerpan bhav sunder samanvay

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  10. सुन्दर कोमल रचना ..!

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  11. प्रभामयी भावमयी अद्वितीय रचना -
    शुभकामनाएं -

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  12. Jyotsna ji ki ye kavita
    me pehle bhi padh chuka hun
    SF par, aur yaha ek abr fir se
    padhkar pathak man prasnn hua

    badhai

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  13. सुन्दर शब्द ... कोमल भावनायें ....

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  14. हिन्दी साहित्य के सुधी पाठकों को धन्यवाद!

    हिंदी दिवस पर हिंदी वर्ष मनाने का संकल्प लें...और हिन्दी की सेवा करें...


    हिन्दी सेवकों को नमन के साथ ही मेरी हार्दिक शुभकामनाएं...

    सादर- ज्योत्स्ना पाण्डेय
    लखनऊ .

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