कितनी अजीब बात है!
नारी की जीत,उसकी पूरी मनोदशा-
पुरुष की फाइल में बंद होती है!
एक कैरेक्टर सर्टिफिकेट के लिए,
वह घर-बाहर का संतुलन बनाये रखती है....और जिस रोज़ वह इस दायरे से मुक्त होती है , एक खामोश प्रश्न बन जाती है !
या फिर प्रलाप करती जाती है समुद्र की लहरों की तरह - उस रहस्य का सामना ना करो तो ही बेहतर है .....रश्मि प्रभा

लड़कियां जब हो जाती हों अचानक से चुप ....

() वाणी शर्मा

लड़कियां जब हो जाती हैं
अचानक से चुप ...
उन्हें कुरेदना
ठीक नहीं समझती हूं मैं
डरती हूं मैं
कि वो बोल देंगी तो
कोइ आस ना खो जाये
कहीं मेरा विश्वास
धूमिल ना हो जाये ...

मैं जो लगी हूं
रिश्तों के पुल बनाने में
उन रिश्तों से कहीं
खुद मेरा ही
विश्वास ना उठ जाये ...

लड़कियां जब बात कर रही हों
बहुत ज्यादा
तो उन्हें चुप हो जाने को कहना भी
नहीं लगता ठीक मुझे
डरती हूं मैं
कि अगर वो हो जायेंगी
अचानक से चुप
कितना कुछ पी जायेंगी
अमाशय में घुलकर
विष न हो जाये कहीं
और फ़ट पड़े एक दिन
चिंथड़े ना उड़ जाये
उनके दिमाग के
कहीं चिंदियों मे
बिखरा रहे कलेज़े का
टुकड़ा -टुकड़ा ...

इसलिये
लड़कियों को
बोलने दो
जब वो कुछ कहना चाहें
और
हो जाने दो चुप
जब वो कुछ ना कहना चाहें....

नाम .... ...वाणी शर्मा
परिचय .....एक आम भारतीय गृहिणी


17 comments:

  1. लड़कियों को
    बोलने दो
    जब वो कुछ कहना चाहें
    और
    हो जाने दो चुप
    जब वो कुछ ना कहना चाहें..

    सटीक बात कही है .....सुन्दर अभिव्यक्ति

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  2. इसलिये
    लड़कियों को
    बोलने दो
    जब वो कुछ कहना चाहें
    और
    हो जाने दो चुप
    जब वो कुछ ना कहना चाहें....
    बहुत सुन्दर रचना है वाणी जी हमेशा संवेदनात्मक रचने लिखती है। उनकी फैन हूँ। बधासी वाणी और धन्यवाद रश्मि जी। सब कोगणेश चतुर्थी और ईद की शुभकामनायें

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  3. लड्कियों की भावनाओ को शब्द दे दिये वाणी जी ने………………बेहतरीन अभिव्यक्ति।

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  4. ese laga jese mere jazbaat ko yaha shabd mile...
    मैं जो लगी हूं
    रिश्तों के पुल बनाने में
    उन रिश्तों से कहीं
    खुद मेरा ही
    विश्वास ना उठ जाये ...

    bahut sahi kaha... har rishte ki neev "VISHWAS" hi to hai.
    इसलिये
    लड़कियों को
    बोलने दो
    जब वो कुछ कहना चाहें
    और
    हो जाने दो चुप
    जब वो कुछ ना कहना चाहें.... Very very true...!
    per kaha kar paate hai log yeh ?

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  5. bilkul sahi kaha, unhen bhi vani mili hai to unaka bhi haq hai ki ve bolen aur ham usako sunkar jaanchen akhir ve bhi to kal hamari tarah isa srishti ka bojh dhone vali hain.

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  6. बहुत सुन्दर रचना है,बेहतरीन अभिव्यक्ति।

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  7. अच्छी पंक्तिया लिखी है आपने ...

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  8. मजबूत भावनाओं की संवेदनात्मक अभिव्यक्ति

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  9. एक गृहणी की सशक्‍त अभिव्‍यक्ति । अभिव्‍यक्ति एक मां की जो आज की नब्‍ज को पहचानती है। अभिव्‍यक्ति एक नारी की जो कभी लड़की थी।
    वाणी जी की कविता पढ़ने का पहला अवसर है। प्रभावित किया उन्‍होंने।
    पर एक कवि के रूप में मुझे लगता है वाणी जी कविता को कसने की जरूरत है। दो उदाहरण देखें- 'लड़कियां जब बात कर रही हो ज्‍यादा' में 'बात' के स्‍थान पर अगर 'बोल रही हों' तो बेहतर होगा। इसी तरह अंत में 'हो जाने दो चुप' में अगर 'रह जाने दो चुप' होगा तो ज्‍यादा प्रभावशाली होगी। शुभकामनाएं।

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  10. एक बहुत अच्छी कविता के गुण हैं इस रचना में।

    प्रमोद ताम्बट
    भोपाल
    www.vyangya.blog.co.in
    http://vyangyalok.blogspot.com

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  11. आपको एवं आपके परिवार को गणेश चतुर्थी की शुभकामनायें ! भगवान श्री गणेश आपको एवं आपके परिवार को सुख-स्मृद्धि प्रदान करें !
    बहुत सुन्दर !

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  12. @ रश्मि जी ,
    कविता की भूमिका इससे बेहतर नहीं हो सकती थी ...इसके अर्थ को विस्तार दिया आपने

    @ आप सबका बहुत आभार ...

    @ राजेश जी ,
    कविता पर आपकी निष्पक्ष और सार्थक टिप्पणी और सुझाव के लिए बहुत आभार ...

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  13. mujhey kaha gaya tha

    shareef larkiyaan

    oonchi aawaz main

    qehqahey naheen lagateen

    naa mehram sey

    haath naheen milateen

    apney naam ke saath

    begam ka laqab laga kar

    shahadat deti hain

    ke wo mankooha hain

    mujhey pehley

    Khuda sey daraya gaya

    phir mard sey

    kabhi kisi ko

    dost samajhney ki

    tarbiyat naheen di gai

    mairey galey main

    khauf ka taweez hey

    main ney

    ghuroob hotey hoey

    sooraj ki thaali main

    apney khwab daal diye hain

    shaayed

    agli subh

    mujhey woh farmaan mil jaaey

    jis sey

    main apney

    khwab bayaan kar sakoon............. by sahar suhani

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  14. वाह! मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति!

    अभी कुछ दिनों पूर्व एक शब्द रचना मैंने भी की थी, इस संदर्भ में एक और भाव देती हुई!

    आदरनीय रश्मि प्रभा जी को प्रेशित कर रहा हूँ, यदि अच्छी लगे तो प्रकाशित करें।अभी अपने Blog पर भी नहीं प्रस्तुत की है।

    आपको सुन्दर भावाव्यक्ति के लिये बधाई!

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